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मुख्यमंत्री ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बाढ़ तैयारियों की समीक्षा



बीपी त्रिपाठी 

गोण्डा।बुधवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री  योगी आदित्यनाथ ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश में बाढ़ की तैयारियों की समीक्षा की। समीक्षा में मुख्यमंत्री  ने बाढ़ प्रबंधन और जनजीवन की सुरक्षा के दृष्टिगत मुख्यमंत्री  के दिशा-निर्देश दिए। 

 


   

उन्होंने कहा कि प्रदेश में व्यापक जन-धन हानि के लिए दशकों तक कारक रही बाढ़ की समस्या के स्थायी निदान के लिए विगत 05 वर्षों में सुनियोजित प्रयास किए गए हैं।अति संवेदनशील जिलों की संख्या में अभूतपूर्व कमी आई है।2017-18 से अब तक 830 बाढ़ परियोजनाएं पूरी की गईं। विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार हमने आधुनिकतम तकनीक का प्रयोग कर बाढ़ से खतरे को न्यूनतम करने में सफलता पाई है।


 उन्होंने कहा कि बाढ़ से जन-जीवन की सुरक्षा के लिए विगत 05 वर्षों में अंतरविभागीय समन्वय से अच्छा कार्य हुआ है। इस वर्ष भी बेहतर समन्वय, क्विक एक्शन और बेहतर प्रबन्धन से बाढ़ की स्थिति में लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित कराई जाए।     उन्होंने कहा कि प्रदेश में बाढ़ की दृष्टि से 24 जनपद अति संवेदनशील श्रेणी में हैं। 


इसमें महाराजगंज, कुशीनगर, लखीमपुर खीरी, गोरखपुर, बस्ती, बहराइच, बिजनौर, सिद्धार्थनगर, गाजीपुर, गोण्डा, बलिया, देवरिया, सीतापुर, बलरामपुर, अयोध्या, मऊ, फर्रुखाबाद, श्रावस्ती, बदायूं, अम्बेडकर नगर, आजमगढ़, संतकबीर नगर, पीलीभीत और बाराबंकी शामिल हैं। 


जबकि सहारनपुर, शामली, अलीगढ़, बरेली, हमीरपुर, गौतमबुद्ध नगर, रामपुर, प्रयागराज, बुलन्दशहर, मुरादाबाद, हरदोई, वाराणसी, उन्नाव, लखनऊ, शाहजहांपुर और कासगंज *संवेदनशील* प्रकृति के हैं। अति संवेदनशील और संवेदनशील क्षेत्रों में बाढ़ की आपात स्थिति हेतु पर्याप्त रिजर्व स्टॉक का एकत्रीकरण कर लिया जाए। 


इन स्थलों पर पर्याप्त प्रकाश की व्यवस्था एवं आवश्यक उपकरणों का भी प्रबन्ध होना चाहिए। सभी 875 बाढ़ सुरक्षा समितियाँ एक्टिव मोड में रहें। अति संवेदनशील तथा संवेदनशील तटबंधों का जिलाधिकारी/पुलिस कप्तान स्वयं निरीक्षण कर लें। 


शेष तटबंधों का उपजिलाधिकारी/डिप्टी एसपी स्तर के अधिकारी द्वारा तटबंधों का निरीक्षण करा लिया जाए तथा सिंचाई एवं जल संसाधन, गृह, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, सिंचाई एवं जल संसाधन, खाद्य एवं रसद, राजस्व एवं राहत कृषि, राज्य आपदा प्रबन्धन, रिमोट सेन्सिंग प्राधिकरण के बीच बेहतर तालमेल हो। 

       

भारतीय मौसम विभाग, केन्द्रीय जल आयोग, केन्द्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण से सतत संवाद-संपर्क बनाए रखें। यहां से प्राप्त आकलन/अनुमान रिपोर्ट समय से फील्ड में तैनात अधिकारियों को उपलब्ध कराया जाए। 


भारत सरकार की एजेंसियों की मदद से आकाशीय बिजली के सटीक पूर्वानुमान की बेहतर प्रणाली के विकास के लिए प्रयास किया जाना चाहिए और उत्तर प्रदेश पुलिस रेडियो मुख्यालय द्वारा बाढ़ से प्रभावित जनपदों में 113 बेतार केंद्र अधिष्ठापित किए गए हैं। मॉनसून अवधि में यह केंद्र हर समय एक्टिव रहे।  


प्रदेश में बाढ़ से सुरक्षा के लिए विभिन्न नदियों पर 3869 किमी लंबाई वाले 523 तटबंध निर्मित हैं। बाढ़ की आशंका को देखते हुए सभी तटबंधों की सतत निगरानी की जाए। राज्य स्तर और जिला स्तर पर बाढ़ राहत कंट्रोल रूप 24×7 एक्टिव मोड में रहें। 

     

 मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि बाढ़ के प्रति अतिसंवेदनशील तटबन्धों जैसे जनपद बस्ती में सरयू नदी पर निर्मित कटरिया- चांदपुर तटबंध एवं कलवारी - रामपुर तटबंध, बाराबंकी में सरयू नदी पर निर्मित अलीनगर-रानीमऊ तटबंध, गोरखपुर में राप्ती नदी पर निर्मित बढ़या-कोठा तटबंध एवं बोक्टा-बरवार तटबंध, जनपद बलिया में गंगा नदी पर दूबे छपरा-टेंगरही तटबंध एवं सरयू नदी पर निर्मित तुर्तीपार-श्रीनगर तटबंध, गोण्डा में सरयू नदी पर निर्मित सकरौर-भिखारीपुर तटबंध एवं एल्गिन ब्रिज-चरसरी तटबंध, जनपद बहराइच में सरयू नदी पर निर्मित बेल्हा-बेहरौली तटबंध एवं रेवली आदमपुर तटबंध, बलरामपुर में राप्ती नदी पर निर्मित राजघाट तटबंध, जनपद सिद्धार्थनगर में बूढ़ी राप्ती नदी पर निर्मित अशोगवा नगवाँ तटबंध एवं मदरहवा-अशोगवा बांध जनपद मऊ में सरयू नदी पर निर्मित चिऊँटीडाड़ तटबंध, जनपद बदायूं में गंगा नदी पर निर्मित गंगा - महावां तटबंध जनपद आजमगढ़ में सरयू (घाघरा) नदी पर निर्मित महुला गढ़वाल तटबंध पर मरम्मत के समस्त कार्य पूर्ण करा लिए जाएं। 


उन्होंने कहा कि हमें बाढ़ के साथ-साथ जलभराव के लिए भी ठोस प्रयास करना होगा। जिलाधिकारी गण स्वयं रुचि लेकर जलभराव से बचाव के लिए व्यवस्था की देखरेख करें। कल 30 जून तक नालों आदि की सफाई का कार्य पूर्ण करा लिया जाए।

   


निर्देश दिए कि आपदा प्रबंधन के लिए जिलों की अपनी कार्ययोजना होनी चाहिए। एनडीआरएफ/एसडीआरएफ के सहयोग से युवाओं को प्रशिक्षित किया जाए। समस्त अतिसंवेदनशील तटबंधों पर प्रभारी अधिकारी, सहायक अभियन्ता स्तर के नामित किए जा चुके हैं, यह 24×7 अलर्ट मोड में रहें। 


तटबन्धों पर क्षेत्रीय अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा लगातार निरीक्षण एवं सतत् निगरानी की जाती रहे। बारिश के शुरुआती दिनों में रैटहोल/रेनकट की स्थिति पर नजर रखें। वर्ष 2021 में बाढ़ से प्रभावित अतिसंवेदनशील/संवेदनशील स्थलों को चिन्हित कर बाढ़ परियोजनाओं के माध्यम बाढ़ बचाव कार्य संचालित है। 


जिन संवेदनशील स्थलों पर बाढ़ बचाव परियोजनायें स्वीकृत नहीं है, अथवा जिन स्थलों पर क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों एवं जिलाधिकारियों द्वारा आसन्न बाढ़ के दृष्टिगत संवेदनशीलता की आंशका व्यक्त की गई है, उन स्थलों पर उनके सुझाव के अनुसार आवश्यक कार्य कराए जाएं। बाढ़ आपदा की स्थिति में स्थापित राहत कैम्पों में रहने वाली महिलाओं/किशोरियों को डिग्निटी किट उपलब्ध कराए जाएं। डिग्निटी किट में सैनेटरी पैड, साबुन, तौलिया, डिस्पोजे़बल बैग, बाल्टी, मास्क आदि शामिल हों।


बाढ़ प्रबंधन और जन जीवन की सुरक्षा के दृष्टिगत मुख्यमंत्री के दिशा-निर्देश


मुख्यमंत्री जी ने निर्देश दिए कि बाढ़/अतिवृष्टि की स्थिति पर सतत नजर रखी जाए। नदियों के जलस्तर की सतत मॉनीटरिंग की जाए। प्रभावित जिलों में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ/पीएसी तथा आपदा प्रबंधन टीमों को 24×7 एक्टिव मोड में रहें। आपदा प्रबंधन मित्र, सिविल डिफेंस के स्वयंसेवकों की आवश्यकतानुसार सहायता ली जानी चाहिए। इन्हें विधिवत प्रशिक्षण भी दिया जाए।

    

 नौकाएं, राहत सामग्री आदि के प्रबंध समय से कर लें। बाढ़/अतिवृष्टि से पर प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों में देर न हो। प्रभावित परिवारों को हर जरूरी मदद तत्काल उपलब्ध कराई जाए। बाढ़ के दौरान और बाद में बीमारियों के प्रसार की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा विशेष स्वास्थ्य किट तैयार करके जिलों में पहुंचा दिया जाए। क्लोरीन, ओआरएस, बुखार आदि की दवायें जरूर हों। 


कुत्ता काटने/सांप काटने की स्थिति में प्रभावित लोगों को तत्काल चिकित्सकीय मदद मिलनी चाहिए। लोगों को बताया जाए कि बाढ़ का पानी कतई न पिएं, जब भी पानी पियें उबाल कर छान कर पिएं। राहत शिविरों में चिकित्सकों की टीम विजिट करे।


हमें कोरोना के प्रति भी सतर्क रहना होगा। बाढ़ के दौरान जिन गांवों में जलभराव की स्थिति बनेगी, वहां आवश्यकतानुसार पशुओं को अन्यत्र सुरक्षित स्थल पर शिफ्ट कराया जाए। इसके लिए जनपदों की स्थिति को देखते हुए स्थान का चयन कर लिया जाए। इन स्थलों पर पशु चारे की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए। पशुपालन विभाग द्वारा पशुओं का टीकाकरण समय से कराया जाना सुनिश्चित किया जाए। 


कंट्रोल रूम क्रियाशील रहे। बाढ़ आपदा की स्थिति में यदि जरूरत पड़ती है तो अस्थायी राशन केंद्र भी संचालित करने होंगे। खाद्य एवं रसद विभाग द्वारा इनके संचालन की व्यवस्था पूर्व से ही कर लिया जाए। बाढ़ प्रभावित लोगों को दी जाने वाली राहत सामग्री की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होना चाहिए। 


राहत आयुक्त स्तर से खाद्य सामग्री की गुणवत्ता सुनिश्चित की जाए। राहत सामग्री का पैकेट मजबूत हो, लोगों को कैरी करने में आसानी हो। राहत शिविरों में पेट्रोमैक्स आदि के।माध्यम से रात्रि में प्रकाश की उपलब्धता बनी रहे।

 

  प्रभावित क्षेत्रों में महिला/बालिका सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम होने चाहिए। ऐसे में पुलिस बल की सक्रियता आवश्यक है। फील्ड में तैनात कर्मियों के भोजन आदि की भी व्यवस्था रहे। बाढ़/अतिवृष्टि के कारण कृषि फसलों की क्षति की स्थिति में किसान को यथाशीघ्र राहत दिलाई जाए। 


क्षति का आकलन करायें तत्काल मदद पहुंचाएं। नदियों की ड्रेजिंग से निकली उपखनिज बालू/सिल्ट की नीलामी में पूर्ण पारदर्शिता के साथ समय से होना चाहिए। बालू नीलामी के कार्य का भौतिक सत्यापन भी कराया जाए।  नदियों के कैचमेंट एरिया में अवैध खनन कतई न हो। ऐसा हर अपराध के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई होगी। 


नदियों के चैनेलाइजेशन के लिए ड्रोन आदि नवीनतम तकनीक का प्रयोग करते हुए समय से कार्ययोजना बना लेनी चाहिए। स्थानीय जनप्रतिनिधियों के मार्गदर्शन लेते रहें।

  

वीसी में एनआईसी में डीएम डॉक्टर उज्ज्वल कुमार, एसपी संतोष कुमार मिश्रा, एडीएम सुरेश सोनी, नगर मजिस्ट्रेट अर्पित गुप्ता, आपदा विशेषज्ञ राजेश श्रीवास्तव व अन्य संबंधित अधिकारीगण उपस्थित रहे।

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