डॉ ओपी भारती
गोण्डा:बालेश्वर गंज कस्बे में स्थित वट की वृक्ष की फेरी व पूजन कर महिलाओं ने अपने सुहाग की लंबी उम्र के लिए शनि देव से वरदान मांगा।
इस अवसर पर फेरी व पूजन के लिए क्षेत्र की महिलाओं का जमघट लगा रहा। सुहागिने सुबह तड़के से ही सज धज कर आ गई। जो महिलाएं वृद्धि व किन्ही कारणों से फेरी करने में सक्षम नही थी उनकी जगह पर उनका संकल्प लेकर कन्याओ ने फेरी की।
30 मई की बना अदभुत संयोग:-
आज शनि देव महाराज कुम्भ राशि मे जन्म लेंगे, साथ ही आज के ही दिन वट सावित्री का व्रत भी है। सोमवती अमावस्या के शुभ अवसर पर शनि देव का जन्म और वट सावित्री का व्रत का अदभुत संयोग सुहागन महिलाओं के लिए सोने पर सुहागा सावित हो रहा है। इस दिन पूजन व फेरी करने पर सुहागन महिलाओं को अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है।
सोमवती अमावस्या पर शिव पार्वती के पूजन का विशेष महत्व :-
सोमवती अमावस्या के पावन अवसर पर शिव पार्वती की पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति तो होती ही है, साथ ही दंपतियों में मधुर संबंध व स्नेह आजीवन बना रहता है।
अमावस्या तिथि का प्रारंभ
सोमवती अमावस्या 29 मई22 को अपराह्न 02:54 से प्रारंभ होकर 30 मई की अपराह्न 04:59 बजे समाप्त होगा।
इस तरह 30 मई कोसे पूरा दिन व रात सर्वार्थसिद्धि योग का संयोग बन रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग 30 मई को सुबह 07:12 बजे से अगले दिन 01 जून को सुबह 05:24 बजे तक रहेगा। इस दिन कोई भी शुभ कार्य या अनुष्ठान किया जा सकता है।
इसके अलावा इस दिन बुधादित्य वर्धमान सुकर्मा और केदार नाम के भी शुभ योग बन रहे हैं इस दिन वृषभ राशि में सूर्य बुध की युति होने से बुधादित्य योग नामक राज योग बन रहा है 30 मई को एक साथ के शुभ योग का निर्माण हो रहा है इस दिन शनि देव अपनी स्वराशि कुंभ में विराजमान रहेंगे।
देव गुरु बृहस्पति भी अपनी स्वराशि मीन में रहेंगे देव गुरु इन दोनों ग्रहों के अपनी स्वराशि में होने से कुम्भ व मीन राशि वालों को शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है।
पूजन विधि:
सोमवती अमावस्या के दिन अपने सामर्थ्य व शनि देव के पूजन के अनुसार दान करना चाहिए। इस दिन काले वस्त्र, काला तिल, काला उरद, काला चना, नमक आदि का दान करना चाहिए। सरसों के तेल से शनि देव का अभिषेक करना चाहिए।
जिनके कुंडली मे सर्प दोष हो उन्हें इस दिन पाठ भी करना चाहिए, इससे सर्प दोष का प्रभाव कम या समाप्त हो जाता है।
वट सावित्री व्रत
इन्ही शुभ संयोगों के बीच आज 30 मई को वट सावित्री व्रत भी पड़ रहा है जो 30 साल बाद एक अद्भुत संयोग है।
इस दिन महिलाएं वट वृक्ष की पूजा कर वट सावित्री से अपने अखंड सौभाग्य की कामना करती है।
इस दिन जल में दूध, चीनी, अक्षत, शहद, पुष्प मिला कर वट वृक्ष पर अर्पण करने से अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद वट सावित्री देवी से मिलता है। साथ ही पारिवारिक जीवन मे चल रही उलझने, दूरियां समाप्त होकर आपस मे स्नेह व मधुर संबंध बनता है।
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