विनोद कुमार
प्रतापगढ़। गरीबों का हक मारा जाता है। आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद गरीब राकेश गौड़ से इलाज के नाम पर बीस हजार रूपए लिए गए। यह इस बात का सबूत है।
जब पैसा खतम हो गया तो बेबस लाचार राकेश को उसकी पत्नी राजा प्रताप बहादुर पुरुष अस्पताल लेकर आई।यहां पर भी उसे राम भरोसे छोड़ दिया गया।
चार दिन से भर्ती राकेश से पर्यावरण मंत्री डाक्टर अरूण सक्सेना मिले तो उसका दर्द छलक उठा। आंसू बाहर आ गए। मंत्री ने मामले की जांच की बात कही तो जिम्मेदार बगले झांकने लगे। इसको लेकर जिला अस्पताल में चर्चाओं का बाजार गर्म है।
ज़िम्मेदार बयान देने से बचते नजर आए।कंधई के साल्हीपुर गांव के राकेश गौड़ को सांस लेने में तकलीफ की शिकायत थी। पत्नी माधुरी ने बताया कि कुछ दिन पहले राकेश को सदर स्थित नर्सिंग होम में भर्ती कराया था। इलाज में बीस हजार रूपए खर्च हुआ।
लेकिन उसके बाद भी पति को आराम नहीं हुआ। पैसे के अभाव में उसने राकेश को नर्सिंग होम से लाकर जिला अस्पताल की इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया। उसका आरोप है कि उसके पास आउषमान कार्ड था। नर्सिंग होम के डाक्टर को दिया भी था।
लेकिन उन्होंने कार्ड नहीं माना। इलाज में बीस हजार रुपए लिए और आराम भी नहीं हुआ। उसने चार दिन पहले पति को अस्पताल में भर्ती कराया है। थोड़ा आराम मिला है।
शनिवार को अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंचे मुख्यमंत्री योगी के पर्यावरण वन मंत्री डाक्टर अरूण कुमार सक्सेना राकेश गौड़ से मिले। हालचाल पूछा।
राकेश उसकी पत्नी ने बताया कि दवाएं बाहर से लिखी जा रही है। वे बहुत गरीब हैं। नर्सिंग होम में इलाज में सारा पैसा खर्च हो गया। पता चला है कि शहर के जो नर्सिंग होम आयुष्मान कार्ड सेवा से जुड़े हैं।
उसमें सदर बाजार चौराहा वाला नर्सिंग होम जिसमें राकेश भर्ती था, वह भी जुड़ा है। सवाल यह है कि जब कार्ड था तो इलाज में बीस हजार रुपए क्यों लिए गए। जबकि माधुरी का आरोप है कि उसने बार बार कार्ड दिखाया लेकिन उसको नहीं देखा।
इस बारे में सीएमओ और सीएमएस से बात करने का प्रयास किया गया। पता चला है कि मंत्री से शिकायत के बाद डाक्टर और स्टाफ उस पर दबाव बनाने लगे।
हो सकता है कि किरकिरी से बचने के लिए उसे अस्पताल से ही निकाल दें।
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