Type Here to Get Search Results !

Bottom Ad

भागवत कथा में पहुँचकर मंचासीन कथा व्यास से लिया आशीर्वाद

 


सुदामा चरित्र जीवन में आई कठिनाइयों का सामना करने की हमें सीख देता है:- श्रीकुंजबिहारी शरण जी महाराज

विनय तिवारी

सांगीपुर,प्रतापगढ़। नौबस्ता में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन सोमवार को कथा वाचक श्रीकुंजबिहारी शरण जी महाराज ने सुदामा चरित्र व सुखदेव विदाई का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि मित्रता में गरीबी और अमीरी नहीं देखनी चाहिए।


मित्र एक दूसरे का पूरक होता है। भगवान कृष्ण ने अपने बचपन के मित्र सुदामा की गरीबी को देखकर रोते हुए अपने राज सिंहासन पर बैठाया और उन्हें उलाहना दिया कि जब गरीबी में रह रहे थे तो अपने मित्र के पास तो आ सकते थे, लेकिन सुदामा ने मित्रता को सर्वोपरि मानते हुए श्रीकृष्ण से कुछ नहीं मांगा।

उन्होंने बताया कि सुदामा चरित्र हमें जीवन में आई कठिनाइयों का सामना करने की सीख देता है। सुदामा ने भगवान के पास होते हुए अपने लिए कुछ नहीं मांगा। 


अर्थात निस्वार्थ समर्पण ही असली मित्रता है। कथा के दौरान परीक्षित मोक्ष व भगवान सुखदेव की विदाई का वर्णन किया गया। कथा के बीच-बीच में भजनों पर श्रद्धालुओं ने नृत्य भी किया। कथा वाचक श्रीकुंजबिहारी शरण जी महाराज ने बताया कि भागवत कथा का श्रवण से मन आत्मा को परम सुख की प्राप्ति होती है।


भागवत में बताए उपदेशों उच्च आदर्शों को जीवन में ढालने से मानव जीवन जीने का उद्देश्य सफल हो जाता है। सुदामा चरित्र के प्रसंग में कहा कि अपने मित्र का विपरीत परिस्थितियों में साथ निभाना ही मित्रता का सच्चा धर्म है! 


मित्र वह है जो अपने मित्र को सही दिशा प्रदान करे,जो कि मित्र की गलती पर उसे रोके और सही राह पर उसका सहयोग दे।।


 इस अवसर पर मुख्य यजमान विजयलक्ष्मी श्रीवास्तव एवं बाँकेबिहारी लाल श्रीवास्तव, अवध बिहारीलाल श्रीवास्तव, गोपेश, भूपेश, गौरव, पंकज, वैभव, कविता, प्रीत्या, नित्या, सत्या, भागवत कथा व्यास उमापति दास जी महाराज, एडवोकेट सुजीत तिवारी, भाष्कर मिश्र, उदय नारायण मिश्र, शुभम श्रीवास्तव सहित समस्त श्रीवास्तव परिवार व आस-पास के क्षेत्र से आये हुए सैकडों महिला, पुरुष और श्रोतागण उपस्थित रहे।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Top Post Ad



 




Below Post Ad

5/vgrid/खबरे