अखिलेश्वर तिवारी/नरेन्द्र पटवा
जनपद बलरामपुर के तहसील उतरौला क्षेत्र में आम के पेड़ों में बौर आना शुरू हो गया है, लेकिन बारिश व मौसम बदलाव के कारण रोगों का प्रकोप बढ़ने लगा है।
मौसम की बेरुखी के कारण बागवानों के चेहरों का रंग उड़ गया है । बागवान इस बात से चिंतित हैं कि इस बार कहीं आम की पैदावार फिर कम न हो जाए।
मौसम के मिजाज को देखते हुए इस बार पहले से ही दवाओं का छिड़काव और अन्य प्रयास तेज कर दिए हैं। आम की फसल में कीट व फफूंद जनित रोग तेजी से लग रहे हैं।
बागवान मोहम्मद समी, व इम्तियाज का कहना है कि पिछली बार भी आम की पैदावार कम हुई थी, जो पैदावार हुई थी उसके उत्पादन का सही लाभ नहीं मिला था ।
गत वर्ष कोरोना महामारी के चलते बाजार मे बिक्री का सही लाभ नहीं मिल पाया था। इस बार यदि मौसम ने साथ दिया तो आम के उत्पादन से बिक्री मे अच्छी आमदनी होने की उम्मीद लग रही है।
कृषि विशेषज्ञ डा० जुगुल किशोर का कहना है कि बागो में भूरी और करपा रोगों का प्रकोप हो सकता है इसके लिए फफूंद नाशकों का प्रयोग अनिवार्य है । उन्होंने बागवानों को सलाह दी कि थ्रिफ्स नामक कीट से भी बचाव करें ।
यह कीड़ा छिलके के अंदर देखा जा सकता है। इस समय आम के पेड़ो मे बौर और कली निकल रही है जिससे यह कीड़ा नुकसान पहुंचा सकता है।
इसके लिए इमिडाक्लोपिड 17.8 प्रतिशत तथा थिएमेथोक्शन 25 प्रतिशत का छिड़काव कर आम के बौरों में लगने वाले रोगों से बचाया जा सकता है।
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