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गोण्डा:पर्यावरण प्रेमी ने स्कूल कॉलेजों में छात्र छात्रों व अभिभावकों को अपशिष्ट प्रबंधन के गुरु सिखाने का उठाया बीड़ा

आर के गिरी 

गोण्डा: देश में लगातार गिरते पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक ई. पी.आई से चिंतित एक पर्यावरण प्रेमी अब स्कूल कॉलेजों में छात्र छात्रों व अभिभावकों को अपशिष्ट प्रबंधन के गुरु सिखाने का बीड़ा उठाया है। 



इनका मानना है कि अपशिष्ट के समुचित प्रबंधन से एक तरफ जहां प्लास्टिक सहित अन्य कचरा से मुक्ति मिलेगी। 


साथ ही साथ इनका सदुपयोग होगा व लोग कचरे से भी पैसा कमा सकेंगे।


पर्यावरण चिंतक दिनेश रस्तोगी उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश में पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने के लिए अपना विशेष योगदान दे चुके हैं। 


उन्होंने बताया कि दुनिया के 188 देशों में भारत सबसे निचले पायदान पर खड़ा है। ईपीआई में इसकी रैंकिंग 179 है। 


हिंदुस्तान की एयर क्वालिटी में हमें 13.4 नंबर मिले हैं। उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए शर्म की बात है। दुनिया के 188 देशों में हमें 100 में 28 नंबर भी नहीं मिल पाए। 


हमने सोचा कि जब हमारी रिपोर्ट कार्ड इतनी खराब है। तो जहां तक हमारी पहुंच है। उस स्तर तक हम इसमें सुधार करने का प्रयास करेंगे। 


इसके लिए हमने बच्चों को उनके अभिभावकों को भी इस कार्यक्रम में शामिल किया है। 


इसमें उन्हें हम अपशिष्ट का प्रबंधन कैसे किया जाए उस विषय में विधिवत जानकारी देते हैं। इसमें हम बच्चों अभिभावकों की कार्यशाला के माध्यम से बताते हैं। कि घर पर कूड़ा निस्तारण के लिए तीन प्रकार के डिब्बे रखे जाएं। 


इसमें खाद बनाने वाले अपशिष्ट से कंपोस्ट बनाकर हम अपने खेतों में इसका उपयोग कर सकते हैं। या फिर इसकी पैकिंग कर मार्केट में इसे बेच भी सकते हैं। प्लास्टिक कचरे को कबाड़ी के हाथ बेच कर उससे भी कुछ लाभ कमा सकते हैं। 


जो कूड़ा किसी काम का नहीं है उससे नगर पालिका को दे। वह उसका डिस्पोजल करेगी। उन्होंने कहा कि हम बच्चों को कंपोस्ट बनाने की भी जानकारी देते हैं। 


इसके अतिरिक्त यदि जमीन कच्ची है तो उस में गड्ढे खोदने के बाद प्रतिदिन कूड़ा डालने के बाद उसमें थोड़ा मिट्टी गिरा दें। वह सड़कर  खाद बन जाएगा। 


इस तरह से 70% कूड़ा हमारा सड़ने वाला होता है। 25 प्रतिशत कूड़ा कबाड़ी ले जाता है। कूड़ा जलाना बिल्कुल नहीं है। 4 से 5 प्रतिशत अपशिष्ट सिर्फ बचता है। 


प्लास्टिक के कचरे जलाने से बावन प्रकार की जहरीली गैस निकलती है। कभी कभी देखा जाता है कि लोक कचरे जलाकर जाड़े के मौसम में तापने का काम करते हैं। वह अपने फेफड़े व स्वसन तंत्र का सत्यानाश करते हैं।


प्लास्टिक कचरे से बनाएंगे इको ब्रिक


प्लास्टिक कचरे से इकोब्रिक बनाने के लिए बड़े-बड़े शहरों में तमाम लोग आगे आए हैं। ऐसे में प्लास्टिक कचरे का सदुपयोग होगा। साथ ही साथ प्लास्टिक कचरा को सड़क निर्माण में भी उपयोग किया जा सकता है। 


यह तारकोल के स्थान पर भी काम करेंगे। इस तरह से प्लास्टिक का उपयोग होने पर हमारा देश, प्रदेश, व जनपद प्लास्टिक कचरे से मुक्त होगा।


छात्रों को जागरूक कर उनके अभिभावकों के माध्यम से प्लास्टिक का करेंगे बहिष्कार


 हम छात्र-छात्राओं को जागरूक करेंगे व उनके अभिभावकों के माध्यम से समाज में प्लास्टिक पदार्थों का बहिष्कार करें तथा विद्यालय के स्वच्छता अभियान के छात्र-छात्राओं द्वारा जनपद के विभिन्न स्थानों को चिन्हित कर  वहां पर स्वच्छता जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा । जिससे हमारा गोंडा प्लास्टिक मुक्त व स्वच्छता युक्त हो सके।

 

 सेंट जेवियर कॉलेज में हुई कार्यशाला, अभिभावकों को बच्चों को बताए अपशिष्ट प्रबंधन के गुरु


विद्यालय के प्रबंधक सुजैन दत्ता ने बताया कि हमारा विद्यालय वर्ष 2018-19 से स्वच्छता ब्रांड अंबेसडर रहा है तो यहां के छात्र -छात्राओं के साथ- साथ प्रबंध समिति की भी जिम्मेदारी बनती है कि स्वच्छता हेतु लोगों को  जागरूक करें जिससे एक स्वस्थ समाज की परिकल्पना की जा सके । 


इसी के अंतर्गत इस कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है जिसमें सर्वप्रथम हम छात्र-छात्राओं को जागरूक करेंगे व उनके अभिभावकों के माध्यम से समाज में प्लास्टिक पदार्थों का बहिष्कार करें तथा विद्यालय के स्वच्छता अभियान के छात्र-छात्राओं द्वारा जनपद के विभिन्न स्थानों को चिन्हित कर  वहां पर स्वच्छता जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।

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