अखिलेश्वर तिवारी/नरेन्द्र पटवा
जनपद बलरामपुर में आसन्न विधानसभा चुनाव के छठवें चरण मे 3 मार्च को मतदान होना है ।
इस बार चुनाव प्रचार की तस्वीर बदली बदली नजर आ रही है । अलाव के इर्दगिर्द प्रत्याशियों की चुनावी हार जीत तय हो रही है।
कोरोना की गाइड लाइन और निर्वाचन आयोग के दिशा निर्देशों के बाद इस बार विधानसभा चुनाव का रंग बहुत कुछ अलग है।
रैलियों की बात तो छोड़िए नुक्कड़ सभाएं भी नहीं हो रही है, न माइक से प्रचार हो रहा है, बिल्ले और पोस्टर तो पहले ही चुनावों से विदाई ले चुके थे।
ऐसे में मजमे के बीच चुनाव का मजा लेने के आदियों को यह सब बहुत रास नहीं आ रहा है। मौसम सर्द है सूर्य देव दर्शन नहीं दे रहे हैं ।
दिन में हांड़ कंपा देने वाली सर्द हवाओं का मुकाबला लोग अलाव जलाकर कर रहे हैं। इस बहाने दस पांच की संख्या में लोग एक जगह एकत्रित हो जाते हैं।
खेती किसानी और आवारा पशुओं की समस्या से शुरू हुई बात सीधे विधानसभा चुनावों पर पहुंच जाती है और प्रत्याशियों के हार जीत तय होने लगती है।
किसी की टिकट कटनी नहीं चाहिए थी, किसे मिलनी चाहिए थी इसको लेकर लोग बेबाकी से अपनी राय रख रहे हैं।
मौसम के साथ राजनीति का मौसम भी इस समय बदला हुआ है। एक ही पार्टी के प्रति निष्ठा रखने वाले भी इस समय खेमों मे बटे हुए हैं।
गांवों में इस समय चुनाव की पूरी सरगर्मी अलाव के इर्दगिर्द बुनी जा रही है, वहीं शहर में चाय, पान की दुकानों पर चर्चा हो रही है लोगों को इस बार चुनाव बेहद बदला बदला लग रहा है।
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