अखिलेश्वर तिवारी
जनपद बलरामपुर के डॉ सरोज रिटायर्ड आईएएस अफसर डॉ. अफरोज अहमद को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में सदस्य बनाया गया है।
डॉक्टर अफरोज को एनजीटी का सदस्य बनाया जाना बलरामपुर समेत पूरे उत्तर प्रदेश के लिए गौरव का पल है। श्री अफरोज के इस उपलब्धी पर जिले में खुशी का माहौल है।
जानकारी के अनुसार पूर्व आईएएस अफसर डॉक्टर अफरोज अहमद को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का सदस्य बनाए जाने पर बलरामपुर सहित पूरे प्रदेश में स्वागत किया जा रहा है ।
जिले वासियों ने इस खुशी को एक दूसरे को मिठाई खिलाकर साझा किया है। श्री अफरोज अहमद का जन्म जिले के माधवाजोत में एक लोदी वंश के परिवार में हुआ था।
जिन्होंने प्राथमिक शिक्षा अपने पैतृक गांव मधवाजोत तथा जूनियर हाई स्कूल रानीजोत से किया। इसके बाद वें हाई स्कूल एवं इंटरमीडिएट एमपीपी इण्टर कॉलेज बलरामपुर से किया।
इण्टर तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद वें स्नातक एवं स्नातकोत्तर तथा डॉक्टरेट एम.एल.के. पीजी कालेज बलरामपुर (राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या) के अधीन पूर्ण किया।
जिसके बाद उन्होंने एक संक्षिप्त अवधि के लिए एम.एल.के. पीजी कालेज में हीं वनस्पति विज्ञान एवं पर्यावरण विभाग के प्रवक्ता के रूप में भी अपनी सेवाएं दी।
इसके बाद वह 1987-88 के दौरान संयुक्त राष्ट्र फैलोशिप पर उच्च शिक्षा के लिए जर्मनी चले गए। जर्मनी में शिक्षा पूरी करने के बाद वें भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के निमंत्रण पर भारत लौटेकर नौकरशाही में प्रवेश किया।
इस दौरान उन्हें मध्य प्रदेश कैडर का आईएएस अधिकारी नियुक्त किया गया। जहां पर काम करते हुए उन्होंने जन कल्याण के लिए कई ऐतिहासिक काम किए।
अफरोज अहमद का चयन सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एंव कैबिनेट तथा गृह सचिव, भारत सरकार के कार्मिक सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति द्वारा किया गया है।
जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने अंतिम मंजूरी दी है।
पर्यावरण संरक्षण मामलों में अफरोज अहमद का रहा है सराहनीय योगदान
डॉ.अफरोज अहमद एक विश्व प्रसिद्ध पर्यावरण वैज्ञानिक, शिक्षाविद, विकास प्रशासक और सिविल सेवक रहे हैं।
उन्हे जर्मनी, ऑस्ट्रिया, रूस और चेकोस्लोवाकिया में विज्ञान अकादमियों, संयुक्त राष्ट्र संगठनों, मंत्रालयों, संस्थानों, विश्वविद्यालयों से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त है।
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय से पहला अंतर्राष्ट्रीय नेतृत्व प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके बाद इंग्लैंड, स्वीडन, चीन और जापान में भी पर्यावरण संरक्षण और प्रबंधन में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया है।
श्री अफरोज इज़राइल, फिलिस्तीन, मिस्र में अकादमिक, वैज्ञानिक, राजनीतिक, राजनयिक के रूप में संयुक्त राष्ट्र संगठनों में भी अपना योगदान दिया है।
उनके पास पर्यावरण प्रशासन, विकास प्रशासन, संघर्ष समाधान, कूटनीति, समन्वय और विकसित नीति कार्यक्रमों में तीन दशकों से अधिक का व्यावहारिक अनुभव है।
महाराष्ट्र में वें देवेंद्र फडणवीस एवं उद्धव बाल ठाकरे के सरकार में पर्यावरण संरक्षण सलाहकार भी रह चुके हैं।
2014 से 2018 के दौरान पर्यावरण और पुनर्वास सदस्य के रूप में भी अपनी सेवाएं दी है।
नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण, जल शक्ति मंत्रालय, जल संसाधन विभाग, नदी विकास और गंगा कायाकल्प, भारत सरकार में भी सदस्य रह चुके हैं।
श्री अफरोज 1991-2014 के दौरान निदेशक (पुनर्वास और प्रभाव आकलन), 2008 से 2015 के दौरान केंद्रीय सतर्कता आयोग भारत सरकार द्वारा नियुक्त मुख्य सतर्कता अधिकारी भी रहे हैं।
एनसीए में 2015 से 2018 के दौरान आरटीआई अधिनियम 2005 के तहत अपीलीय प्राधिकारी और जी.बी. में संस्थापक वैज्ञानिक रहे हैं।
साथ हीं पंत नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन एनवायरनमेंट एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट भारत सरकार, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में 1989 से 1991 के दौरान काम कर चुके हैं।
पर्यावरण प्रभाव आकलन के अनुप्रयोग में अग्रणी और भारत में हिमालय, भारत-गंगा के मैदान और प्रायद्वीपीय क्षेत्रों में सतत विकास को लागू करने का श्रेय भी श्री अफरोज अहमद को हीं दिया जाता है।
श्री अफरोज ने नर्मदा बांध आन्दोलन के दौरान लगभग दस लाख मानव आबादी के मानवाधिकार और पुनर्वास को सुनिश्चित किया है।
साथ हीं ज्यादातर आदिवासी (स्वदेशी) नर्मदा घाटी में प्रमुख बांधों से विस्थापित हुए और नर्मदा परियोजनाओं को चुनौती देने वाले लगभग दो दर्जन मुकदमों को उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय म.प्र. और ग्रीन ट्रिब्यूनल तथा विषम कार्यों की रक्षा के लिए रणनीति विकसित की है।
जिसके परिणामस्वरूप नर्मदा बेसिन में सरदार सरोवर नर्मदा बांध (दुनिया की सबसे बहस और सबसे बड़ी सिंचाई परियोजना), स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (दुनिया का सबसे ऊंचा स्मारक) एवं अन्य परियोजनाओं को पूरा किया गया।
श्री अफरोज के द्वारा हीं नर्मदा से संबंधित पर्यावरण, वन और पुनर्वास मामलों से संबंधित अंतर-राज्यीय विवादों को (चार प्रमुख राज्यों के बीच) सुलझाया गया है। इनके द्वारा भारत के अधिकांश प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों, आईआईटी, संस्थानों, अकादमियों, मंत्रालयों, यूएनएस संगठनों और यूरोप, अफ्रीका, एशिया के कई देशों में 1000 से अधिक व्याख्यान देकर पर्यावरण प्रबंधन और सतत विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया गया है।
श्री अफरोज भारत के राष्ट्रपति प्रतिभा देवी पाटिल, डॉ एपीजे अब्दुल कलाम एवं प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, डॉ मनमोहन सिंह एवं नरेंद्र मोदी को भी पर्यावरण संरक्षण सम्बंधी सलाह देते रहे हैं।
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