वेद व्यास त्रिपाठी
प्रतापगढ़। सृजना साहित्यिक संस्था के तत्वावधान में विश्व हिन्दी दिवस की पूर्व संध्या पर काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विदुषी लीलावती ने कहा कि हिन्दी भाषा विश्व की सबसे प्रभावशाली,सशक्त एवं सरस भाषा है।
मुख्य अतिथि आनंद मोहन ओझा ने कहा कि भाषा अभिव्यक्ति का माध्यम है और हिन्दी भाषा सर्वोत्कृष्ट है।इसका प्रयोग एवं मान वैश्विक पटल तक है।
काव्य गोष्ठी का शुभारंभ करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ० दयाराम मौर्य रत्न ने पढ़ा- हिन्दी हिन्द का करती सदा यशगान है,हिन्दी से ही विश्व में हम सबका मान है।
प्रेम कुमार त्रिपाठी ने पढ़ा- हिन्दी है आसान पढ़ाई,हिन्दी है आसान। कुंजबिहारी मौर्य काकाश्री ने पढ़ा- हिन्दी हमार मान है,हिन्दी हमार शान।रीतिका मौर्य रीतू ने पढ़ा- गर्व हिन्दी का यूँ ही बढ़ता रहे,हिन्दी से हिंद आगे ही बढ़ता रहे।
संध्या ने पढ़ा- सिरमौर है हर एक भाषा की,है हिन्दी हर भाषा की पथप्रदर्शक।अनिल कुमार निलय ने पढ़ा- महज अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं है,है शाश्वत जीवनशैली हिन्दी।
कार्यक्रम में उपस्थित सभी साहित्यकारों ने एक स्वर में हिन्दी को राष्ट्र भाषा बनाने की मांग की।कार्यक्रम का संचालन अनिल कुमार निलय ने किया। इस अवसर पर राकेश कनौजिया, दीपक,अंकित,श्रीनाथ, राधेश्याम आदि की मौजूद रहे।
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