वासुदेव यादव
अयोध्या। श्रीराम मंदिर आंदोलन के नायक रहे अयोध्या संत समिति के अध्यक्ष व सनकादिक आश्रम के महंत कन्हैयादास महराज का गत दिनों साकेतवास हो जाने पर गुरुवार को मंदिर में विशाल ढंग से महंथायी समारोह आयोजित किया गया।
इस दौरान अयोध्या के सभी धर्म गुरुओं ने महंत संतोषदास को कंठी चद्दर और तिलक लगाकर मंदिर की महंती सौंपी गई। इसके साथ ही मनीषदास को अधिकारी का दायित्व सौंपा गया है।
अंत मे यहां पर हजारो सन्तो शिष्यों आदि का विराट भंडारे का आयोजन किया गया।
इस मंदिर के नवनियुक्त परमपूज्य महंत संतोषदास महाराज ने अपने गुरु महन्त कन्हैयादास के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुई कहा कि हमारे गुरु महंत कन्हैयादास श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण हेतु सदैव समर्पित रहे। वे आरएसएस, विहिप व भाजपा से सदा जुड़े रहे।
उनके जीते जी अयोध्या में भगवान राम लला का भव्य मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो गया। महंत कन्हैयादास जी सिद्ध संत रहे।
वे धार्मिक विद्वान के साथ ही निर्मल छवी और उच्च कोटि के कथा के भी ज्ञाता थे। उनकी कमी खलती है। उनका सानिध्य, आशीर्वाद और कृपा हम पर हैं। इस मंदिर का और इससे संबंधित मंदिरों का विकास और परंपरागत धार्मिक वार्षिक आयोजनों को और सही ढंग से बड़ा रूप में करने का प्रयास किया जाएगा।
श्री महन्त सन्तोषदास ने बताया है कि सभी भक्तों और साधु संत समाज को साथ लेकर हम इस मंदिर का और विकास करेंगे। इस दौरान विराट भंडारे का आयोजन हुआ।
कार्यक्रम में शामिल सभी धर्म गुरु संत महंत को अंग वस्त्र और दक्षिणा भेंटकर स्वागत सम्मान किया गया। इस कार्यक्रम में अनी अखाड़ा के प्रवक्ता महंत धर्मदास, पार्षद पहलवान घनश्यामदास, महंत जयरामदास, सुप्रसिद्ध कथावाचक अम्बरदास जी महाराज, विहिप के प्रवक्ता शरद शर्मा, बड़ा स्थान दशरथ महल के महन्त बिंदु ग़दाचार्य स्वामी देवेंद्र प्रसादाचार्य, रसिक पीठाधीश्वर महंत जनमेजयशरण, दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेशदास, महंत राममिलनदास, महंत गणेशानंद, कविराज महराज, पुजारी किशोरी जी, महंत अवधेशदास जी, महंत संजयदास जी, पहलवान हेमंतदास, डॉक्टर महेशदास, देवेंद्रदास पहलवान, महंत राममिलनदास, गौरव श्रीवास्तव, पहलवान मणिरामदास, सूरजदास, अनिरुद्धदास, महंत उत्तमदास, अभयदास, नागा रविदास महंत रामजी शरण, महन्त अर्जुनदास, महंत सीतारामदास त्यागी, माधवदास, महंत उमेशदास, महंत सत्येंद्रदास वेदांती, महंत रामकुमारदास, पुजारी राजूदास, पार्षद रमेशदास, कथावाचिका डॉ सुनीता शास्त्री, महंत रामशरणदास, महन्त नागाराम लखनदास व महन्त वरुण दास सहित हजारों की संख्या में संत महंत व शिष्यगण आदि शामिल रहे।
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