बी पी त्रिपाठी
गोण्डा। शिक्षक बच्चों के भविष्य को दांव पर लगा कर शिक्षा के मंदिर में बच्चों से मजदूरी करवायें तो देश का भविष्य कैसा होगा इसका आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं।
इसी क्रम में शिक्षाक्षेत्र कटरा बाजार में शिक्षकों द्वारा एक विद्यालय में बच्चों से नाले के ऊपर रखे जाने वाले पत्थरों की ढुलाई कराकर बालश्रम कराने का मामला सामने आया है।
जो सरकारी शिक्षकों के निरंकुश कार्यप्रणाली को उजागर करते हुए शिक्षा जगत को शर्मशार कर रहा है।
मामला शिक्षा क्षेत्र कटराबाजार के राजकीय बालिका विद्यालय सेहरिया कलां का है,जहां सरकारी शिक्षकों द्वारा विद्यालय में छात्र/छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
शिक्षक बच्चों से स्कूल समय में पढ़ाई की जगह नाले के ऊपर रखे जाने वाले पत्थरों की ढुलाई कराकर बालश्रम करा रहे हैं।
यही नहीं गुरुजन मनमानी तरीके से ठेकेदार की तरह मासूम बच्चों के किये जा रहे कार्यों को खड़े देख रहे हैं।
इसी बीच किसी ने उक्त नजारे का वीडियो बना लिया। वहीं जब मौजूद शिक्षकों से मीडियाकर्मियों ने पूछा कि साहब आपके विद्यालय में बच्चे स्कूल के समय में पढ़ाई करने की बजाय नाले के ऊपर रखे जाने वाले पत्थरों की ढुलाई कर बालश्रम कर रहे हैं और आप खड़े होकर देख रहे हैं।
इतना कहते ही शिक्षक मीडियाकर्मियों पर भड़क गए और कहने लगे हमारे पास शिक्षा विभाग का आदेश है कि कोई मीडियाकर्मी स्कूल के अंदर नहीं आ सकता है।
अब गंभीर सवाल यह उठता है कि जहां बच्चों के हाथों में कलम होनी चाहिए वहां पत्थरों की ढुलाई कराकर बालश्रम कराया जाए तो साहब इसे क्या कहें? यही नहीं यहां यह भी गंभीर विचारणीय प्रश्न है कि क्या यदि वीवीआईपी लोगों के बच्चे भी इन सरकारी विद्यालयों में पढ़ते होते तो क्या उनसे भी इस तरह कार्य कराया जाता और उनके साथ यह सुलूक किया जाता?
जबकि इसे लेकर अभिभावकों ने भी रोष जताया है। लोगों का कहना है कि कड़ाके की ठंड का मौसम होने के बावजूद विद्यालय में पढ़ाई के जगह पत्थरों की ढुलाई कराकर मजदूरों की तरह कार्य कराया जाना सरासर ग़लत और बहुत ही निंदनीय कार्य है।
शिक्षकों को बच्चों से मजदूरी ना कराकर मजदूर लगाने चाहिए। उक्त कृत्य सरकारी शिक्षकों के निरंकुश कार्यप्रणाली को उजागर करते हुए शिक्षा जगत को शर्मशार कर रहा है।
इस संबंध में खंड शिक्षा अधिकारी कटराबाजार से फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन संपर्क नहीं हो सका।
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