ए. आर. उस्मानी
गोण्डा। योग का नियमित अभ्यास शरीर को गर्म रखता है। सर्दी-खांसी, वायरल बुखार जैसी बीमारियां सर्दी के मौसम में ही होती हैं।
योगाचार्य सुधांशु द्विवेदी ने बताया कि योग से हमारी रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और सर्दियों में चेहरे पर झुर्रियों से भी बचा जा सकता है।
उन्होंने कहा कि धनुरासन आसन को करने के लिए सबसे पहले पेट के बल लेट जाएंं। सांस छोड़ते हुए घुटनों को मोड़ें और हाथ से टखनों को पकड़ें।
सांस लेते हुए क्षमता के अनुसार सिर, छाती व जांघ को ऊपर की ओर उठाएं।
शरीर के भार को पेट के निचले हिस्से पर लेने की कोशिश करें। धीरे-धीरे सांस लें और सांस छोड़ें।
लम्बी गहरी सांस छोड़ते हुए सामान्य अवस्था में नीचे आएं। 3-5 बार इस आसन को कर सकते हैं। इससे पैर, हाथ की मांसपेशियों में कसाव आता है।
मासिक-धर्म और कब्ज में फायदेमंद है। मधुमेह, कमर-दर्द, अस्थमा, थायरॉइड में आराम मिलता है।
उन्होंने बताया कि पश्चिमोत्तानासन में सबसे पहले जमीन पर बैठ जाएं। दोनों पैरों को सामने फैलाकर पीठ को ढीला छोड़ दें। सांस लेते हुए दोनों हाथों को ऊपर ले जाएं। फिर सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें। हाथ से पैर की उंगलियों को पकड़ने और नाक को घुटने से सटाने की कोशिश करें।
धीरे-धीरे सांस लें और फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ें। इस अवधि को धीरे-धीरे बढ़ाते रहें। 3 से 5 बार यह आसन कर सकते हैं। इससे मोटापा, पाचन, पथरी, रीढ़ की हड्डी, त्वचा व अनिद्रा में आराम मिलता है।
यह आसन पाचन तंत्र के लिए फायदेमंद है। पेट संबंधी दिक्कतें दूर होती हैं।
योगाचार्य सुधांशु ने बताया कि त्रिकोणासन के दौरान पांव एक साथ जोड़कर सीधे खड़े हो जाएं। पैरों के बीच में दो फिट की दूरी रखें। बाहें कंधे तक फैलाएं। सांस खींचते हुए, दाएं बांह को सिर के ऊपर ले जाएं। सांस छोड़ते हुए शरीर बाएं ओर झुकाएं। घुटने न मोड़ें। दाईं बांह जमीन से सटी व बाईं बांह, बाएं पैर के बराबर रखें। धीरे-धीरे सांस लें और छोड़ें। अपनी क्षमता अनुसार मुद्रा को बनाए रखें।
इस क्रिया को शरीर के दूसरी ओर से भी दोहराएं। 3 से 5 बार कर सकते हैं। इस आसन से पाचन-तंत्र मजबूत होता है। तनाव, सियाटिका और पीठ दर्द कम होता है। पेट की चर्बी, त्वचा, कद बढ़ाने, फेफड़े, एसिडिटी में आराम मिलता है।
भुजंगासन के दौरान पेट के बल लेट जाएं। हथेली को कंधे के सीध में लाकर दोनों पैरों के बीच की दूरी को कम करें। पैरों को सीधा रखें। इसी मुद्रा में सांस लेते हुए शरीर के अगले भाग को नाभि तक उठाएं। कमर पर ज्यादा खिंचाव न आने दें।
योग करते समय धीरे-धीरे सांस लें और छोडे़ं। सामान्य अवस्था में आने के लिए गहरी सांस लें। शुरुआत में 3 से 4 बार कर सकते हैं। इस आसन से शरीर लचीला बनता है, स्लिप-डिस्क, कमर-दर्द, अस्थमा, तनाव, पाचन, थायराइड और महिलाओं संबंधी समस्याओं में बहुत ही लाभकारी है।
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