ऑल इण्डिया मुशायरे मे शेरो व शायरी से हुआ वतनपरस्ती का आगाज
एस के शुक्ला
प्रतापगढ़। .. बुलन्दी पर हमारे मुल्क का झण्डा रहे हरदम राष्ट्रीयता के ओज मे इन पंक्तियों की बुलंदी के साथ मुशायरे मे कवियों एवं शायरों ने देश व समाज के हालात बयां किये।
जिले के कटरा मेदनीगंज मे आयोजित ऑल इण्डिया मुशायरे मे देश के जाने माने शायरो ने महफिल को बाग बाग कर दिया। मुशायरे की शुरूआत साबिर फरीदी कानपुर की नाते पाक के आगाज से हुआ।
वहीं मुशायरे की सदारत यहया अब्दुल जब्बार मालेगावी और निजामत इमरान राशिद ने किया। नामचीन शायर अल्ताफ जिया ने पढ़ा-खुद पे बार कर लिया खुद को, इतना खुददार कर लिया खुद को पर खूब तालियां बजी।
वहीं कानपुर के शायर जौहर कानपुरी ने सीख दी-हमारे बच्चों को नफरत की पुस्तकंे न पढ़ाओ, इन्हीं फरिश्तों को अब्दुल कलाम होना है। कासिम हुनर सलोनी की प्रस्तुति लहू कम पड़ गया वर्ना मुकम्मल हो गया होता भी जमकर सराही गयी।
दिल्ली के युवा शायर राजीव रियाज ने सुनाया-वो कत्ल करके भी बैठे हुए हैं संसद मे, मैं एक रोटी चुराकर तिहाड जेल मे हूं से भी मुशायरा जोश मे आ गया।
जाने माने शायर डा. अनुज नागेन्द्र ने जब पढ़ा-जहां मे नाम हिन्दुस्तान का नाम ऊँचा रहे हरदम, बुलन्दी पर हमारे मुल्क का झण्डा रहे हरदम पर हर वतन परस्त झूम उठा।
प्रयागराज के शायर अफजल इलाहबादी का शेर-मेरे तामीर मुकम्मल नही होने पाती, कोई बुनियाद हिलाता है चला जाता है।
अब्दुल हमीद वासिफ सूरती ने पढ़ा-अगर बिछा नही सकते है फूल की चादर, किसी की राह से कांटे हटा तो सकते है भी जमकर पसंद की गई।
मुशायरे मे शमीम दानिश कानपुर, सकील फूलपुरी, आलिम समर, सईद इलाहबादी, इमरान मंजर आदि का भी शेरो शायरी का उम्दा नजारा पेश आया दिखा।
वहीं रात भर चले इस आलमी मुशायरे मे श्रोताओं को जमकर शायरी का लुफ्त उठाते देखा गया।
इसके पहले मुख्यअतिथि सांसद संगमलाल गुप्ता तथा सिराजुलहक लल्लू ने मुशायरे मे बतौर मेहमान कौमी एकता पर खासा जोर दिया। आभार प्रदर्शन जियाउल हक अंसारी एडवोकेट ने किया।
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