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गोण्डा:लोकनिर्माण विभाग की लापरवाही उजागर,डायवर्जन का संकेतांक ना लगने से राहगीर भ्रमित

 

बी पी त्रिपाठी

  गोण्डा । जिले के जिम्मेदारों की जानबूझकर लापरवाही या उनकी सोची समझी योजना के तहत गोंडा से लखनऊ जाने के लिए आवागमन को सुगम बनाने के लिए प्रदेश सरकार ने गोंडा से जरवल तक फोरलेन मार्ग का निर्माण तो करवा दिया लेकिन कर्नलगंज कटराघाट स्थित सरयू पुल पर समानान्तर पुल का निर्माण नहीं कराया गया और ना ही सर्वे करते समय अधिकारियों द्वारा इस पर ध्यान दिया गया, जबकि मार्गों पर सड़क बनाने से पूर्व पुल और पुलिया आदि को पहले से ही दुरुस्त कर लिया जाता है। विदित हो कि करीब 60 वर्ष पूर्व बने इस पुल के सहारे फोरलेन का ट्रैफिक सिंगल लेन के पुल से पार कराया जा रहा था। उधर बीते कई महीनों से राजनीतिक पार्टियों व सत्तारूढ़ दल के नेताओं का जिले व मंडल मुख्यालय पर दौरा भी हुआ पर किसी भी जनप्रतिनिधि ने इसका कोई प्रस्ताव या इस ओर ध्यान आकर्षित नहीं किया वहीं बस राजनीतिक रोटियां सेंकते रहे। जिसका खामियाजा आज पूरे मंडल की जनता को भुगतना पड़ रहा है। जिससे लोगों के लिये जनपद गोंडा से राजधानी लखनऊ का आवागमन अब काफी कठिन हो गया है। बताते चलें कि अधिकारियों द्वारा लखनऊ जाने के लिए 2 मार्गों का निर्धारण किया गया है पहला उसरा घाट होते हुए कैसरगंज से जरवल रोड होते हुए लखनऊ और दूसरा चचरी से शाहपुर होते हुए कर्नलगंज व परसपुर होते हुए गोंडा जाया जा सकता है। वहीं  लोगों के सामने असमंजस की स्थिति बनी हुई है क्योंकि प्रशासन भी सही निर्णय नहीं ले पा रहा कि इस पुल से छोटे मार्गों का आवागमन जारी रखा जाए या पूरी तरह से बंद कर दिया जाय। यदि पूरी तरह से बंद भी कर दिया जाए तो बड़ी समस्या यह है कि जिन दो मार्गों का प्रशासन ने आवागमन के लिए निर्धारण किया है उन पर सड़कों की स्थिति ठीक ना होने के कारण आए दिन घण्टों जाम लगने की स्थिति पैदा हो रही है। ऐसे में यदि कोई रोगी वाहन उस जाम में फंस जाए तो उसकी जान पर बन सकती है। सरयू पुल क्षतिग्रस्त होने के बाद लोकनिर्माण विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है जिसमें  डायवर्जन के लिये अब तक लोक निर्माण विभाग द्वारा रूट डायवर्जन के स्थान पर कहीं पर भी कोई भी संकेतांक नहीं लगाया गया है,इसी से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस बड़े मुद्दे पर विभाग कितना जिम्मेदार व संवेदनशील है। बड़े अधिकारी तो किसी ना किसी प्रकार इस रास्ते से निकल जाएंगे पर आम जनता का क्या होगा। जबकि अधिकारियों को चाहिए कि भली-भांति पुल का निरीक्षण कर हल्के वाहनों और एम्बुलेंस व बीमार लोगों को आवागमन की अनुमति देनी चाहिए। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि यदि प्रशासन पुल के इस पार और पुल के उस पार बसों को लगा दे और पुल से पैदल लोगों को पार करवा कर पुल के दूसरी तरफ खड़ी बसों में बैठा कर उनके गंतव्य स्थानों तक पहुंचा दें तो जनता  के लिये बड़ी राहत हो सकती है । यही नहीं कोविड काल में रेलवे की सवारी गाड़ी का संचालन बंद कर दिया गया जिसके संबंध में यदि जनप्रतिनिधि प्रयास कर उसका संचालन शुरू करवा दें तो भी आमजन के लिये बड़ी राहत हो सकती है। अब आगामी दिनों में देखना होगा कि जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी जनता की समस्याओं का समाधान किस प्रकार करेंगे। वहीं उक्त मामले में सरयू पुल मरम्मत का कार्य देख रहे लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर योगेश चौहान ने बताया मरम्मत कार्य शीघ्रता से कराया जा रहा है और रूट डायवर्जन के लिए जल्द ही संकेतांक लगवाए जाएंगे जिससे कि लोगों को भ्रमित ना होना पड़े।

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