विवेक द्विवेदी
यह यूपी है जनाब और यहां कुछ भी संभव है। जी हां यह बात हम आपको इसलिए बता रहे हैं। क्योंकि जालौन में A ग्रेड का ठेकेदार भी मनरेगा का मजदूर है और पिछले कई वर्षों से वो सरकारी पैसे को हजम कर रहा है। गजब की बात तो यह है कि इनकम टैक्स चुकाने वाला यह शख्स मनरेगा मजदूर का हकदार कैसे हो सकता है और यह मजदूर जहां का निवासी है। वहां इस मजदूर की फर्म के नाम पर क्षेत्र पंचायत में कोरोड़ो के टेंडरों के भुगतान हो चुके हैं।
इतना ही नही मनरेगा मजदूर मतलब ठेकेदार के नाम और करोड़ों रुपये के टेंडर हुए हैं। शिकायतकर्ता का आरोप है कि एकता कंस्ट्रक्शन नाम की फर्म जिले के कई विभागों में रजिस्टर्ड हैं और सड़कों के निर्माण और भुगतान में लाखों रुपये हेरफेर किया है। इस दौरान हैरत में डाल देने वाली बात सामने आई है।
नदीगांव क्षेत्र के कैलिया गांव में पीडब्ल्यूडी ने एक सड़क का निर्माण किया था जिसका भुगतान विभाग द्वारा कर लिया गया लेकिन क्षेत्र पंचायत ने उसी सड़क को दोबारा से कागजों में दर्ज कराकर फिर से उसका भुगतान करा लिया। इस पूरे मामले में ठेकेदार और क्षेत्र पंचायत की मिलीभगत सामने आई है। क्षेत्र पंचायत में कई ऐसी सड़कें हैं जो जांच के दायरे में है और फिर भी लाखों रुपए का भुगतान करा लिया गया। वहीं मामला जब प्रशासनिक अधिकारियों के संज्ञान में आया तो मुख्य विकास अधिकारी ने मामले को संज्ञान में लेकर जिला विकास अधिकारी को जांच के आदेश दिए हैं।दोहरे भुगतान की अनिमियता सामने आने से विभागीय अधिकारी में हड़कंप मच गया वहीं मामले को दबाने का प्रयास किया जा रहा है।
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