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प्रतापगढ़:श्रीराम राष्ट्रीय काव्योत्सव एवं प्रतियोगिता का हुआ आयोजन

राष्ट्रीय कवि संगम काशी प्रांत द्वारा आयोजित हुआ कार्यक्रम, कवियों का लगा जमावड़ा

एस के शुक्ला

प्रतापगढ़। राष्ट्रीय कवि संगम काशी प्रांत द्वारा श्रीराम राष्ट्रीय काव्यपाठ प्रतियोगिता का आयोजन प्रतापगढ़ ईकाई द्वारा नगर स्थित शारदा संगीत महाविद्यालय में आनंद मोहन ओझा की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। प्रतियोगिता में आभा मिश्रा प्रथम, संतोष त्रिपाठी द्वितीय, सरिता त्रिपाठी ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। उक्त प्रतियोगिता में विजेता प्रतिभागी प्रांत स्तर की प्रतियोगिता में हिस्सा लेगे। प्रतियोगिता का संयोजन एवं स्वागत  प्रांत अध्यक्ष अंजनी अमोघ ने किया।

प्रतियोगिता आयोजन जयराम पाण्डेय राही ने किया। इस दौरान निर्णायक मंडल के रूप में अनुरुद्ध मिश्रा, आशुतोष आशु,डा मिथलेश शामिल रहे। प्रतियोगिता का संचालन सौरभ ओझा तथा जयराम पाण्डेय राही ने संयुक्त रूप से किया। प्रतियोगिता के उपरांत राष्ट्रीय कवि संगम के बैनर तले काव्योत्सव का आयोजन किया गया। काव्योत्सव की अध्यक्षता संगम लाल त्रिपाठी भँवर  ने किया। कार्यक्रम में मुख्यअतिथि के रूप में आकाशवाणी प्रयागराज के निदेशक लोकेश शुक्ल, विशिष्ट अतिथि अनिल प्रताप त्रिपाठी प्रवात,संजय शुक्ल, डां श्याम शंकर शुक्ल श्याम रहे। कार्यक्रम में अमेठी इकाई के अध्यक्ष केशरी शुक्ल, महामंत्री डॉ अर्चना ओजस्वी,प्रान्त प्रतियोगिता संयोजक अनिरुद्ध मिश्र, के साथ डा शाहिदा, रोशनलाल उमर वैश्य, राजनारायण शुक्ल, अनूप अनुपम, राजेश मिश्रा, डा श्रद्धा सिंह, सुरेश संभव, अनूप त्रिपाठी, सुरेश नरायण व्योम, शेष दुबे राही, सत्येन्द्र मृदुल आदि उपस्थित रहे। काव्योत्सव मे भगवान श्री राम चंद्र जी के चरित्र पर सभी कवियों ने काव्य पाठ किया । काव्योत्सव मे लोकेश शुक्ल ने पढा 'देश के नौजवां देश के नौ जवां, दे रहा है सदा तुझको हिंदुस्ता', संगम लाल त्रिपाठी भंवर जी ने पढा 'अभिनंदन है राम तुम्हारा अवधपुरी मे'.प्रान्त मंत्री आशुतोष आशु ने पढ़ा - "हर एक घट में है रमा हुआ राम शब्द, राम मय होके नित राम नाम लीजिए. "संयोजक अंजनी अमोघ ने पढ़ा-"प्रभू राम के स्वरूप का जो करता बखान वो,वाल्मीकि तुलसी सा महान बन जाता है."सौरभ ओझा ने पढ़ा-" राम सबके हुए सब हुए राम के." अनूप प्रतापगढ़ी ने पढ़ा 'लोग आते रहे लोग जाते रहे दर्द अपना यही गुनगुनाते रहे' अनूप अनुपम ने पढ़ा ' डरने से कब मौत रुकी है कहा रुकी झुक जाने से' डर श्याम ने पढ़ा 'दिल मे जो विश्वास है समर्थ है।वो हमारी आस्था का अर्थ है।।कार्यक्रम के अंत में सह संयोजक आशुतोष आशु ने सभी आगंतुकों के प्रति आभार व्यक्त किया।


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