Type Here to Get Search Results !

Bottom Ad

प्रतापगढ़: फोरम द्वारा अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षित गर्भ-समापन दिवस पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित

असुरक्षित गर्भ समापन भारत में मातृ मृत्यु-दर का तीसरा सबसे बड़ा कारण: नसीम अंसारी

पट्टी (प्रतापगढ़)! हेल्थ वाच फोरम व महिला स्वास्थ्य अधिकार अभियान  की ओर से अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षित गर्भ-समापन दिवस के अवसर पर पिछले एक सप्ताह से विभिन्न स्थानों पर सामुदायिक जागरूकता बैठकें व हस्ताक्षर अभियान चलाया गया. 

      उक्त बात की जानकारी देते हुए हेल्थ वाच फोरम के स्थानीय प्रतिनिधि व तरुण चेतना के निदेशक नसीम अंसारी ने बताया कि  28 सितम्बर 21 को इस साल चिकित्सकीय गर्भ समापन अधिनियम, 1971 (एमटीपी० एक्ट) के 50 साल भी  पूरे हो रहे है. इस एक्ट  के 50 साल बाद भी लोगों में इस कानून की जानकारी सहित  सेवाओं की पहुँच के बारे में अभाव है. इस पर जागरूकता लाने  के लिए आज हेल्थ वाथ फोरम व  महिला  स्वास्थ्य अधिकार अभियान  द्वारा संयुक्त रूप से  मांग-पत्र तैयार कर जिले व ब्लाक के  स्वास्थ्य अधिकारिओं को ज्ञापन दिया गया. श्री अंसारी ने बताया कि कोविड के कारण पिछले डेढ़ साल से सुरक्षित गर्भसमापन सहित सभी प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच को सर्कार द्वारा प्रतिबंधित कर दिया था  जिससे ग़रीब और सबसे हाशिए पर रहने वाली महिलाओं, किशोरियां व अन्य जेन्डर पहचान वाले व्यक्ति बुरी तरह प्रभावित हुए है, जिसे सामान्य किये जाने की आवश्यकता है.  

उल्लेखनीय है कि चिकित्सकीय समापन अधिनियम, 1971 (एमटीपी० एक्ट) भारत सरकार का एक अधिनियम है जो कुछ विशेष परिस्थितियों में अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाने की अनुमति देता है। यह अधिनियम सन् 1971 में बनाया गया था इस कानून के अन्‍तर्गत महिलायें कुछ विशेष परिस्थितियों में सरकारी अस्‍पताल में या सरकार की ओर से अधिकृत किसी से भी चिकित्‍सा केन्‍द्र में अधिकृत व प्रशिक्षित डॉक्‍टर द्वारा गर्भपात करा सकती है। इस कानून के आने बाद हाल ही में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेन्सी (संशोधन) बिल, 2020 पारित किया गया !  इसके अंतर्गत अगर 20 हफ्ते तक गर्भ समापन  कराना है तो एक डॉक्टर की सलाह की जरूरत होगी। इसके अतिरिक्त कुछ श्रेणी की महिलाओं को 20 से 24 हफ्ते के बीच गर्भ समापन कराने के लिए दो डॉक्टरों की सलाह की जरूरत होगी।  

   एक रिपोर्ट में अनुसार भारत में हर साल लगभग 15.6 मिलियन गर्भ समापन होते हैं,  लेकिन इनमें से अधिकांश के असुरक्षित होने की आशंका है।  असुरक्षित गर्भ समापन भारत में मातृ मृत्यु-दर का तीसरा सबसे बड़ा कारण है। उत्तर प्रदेश में सालाना अनुमानित 3.15 मिलियन गर्भ समापन किए जाते हैं।  वर्ष 2015 में  यह 1,000 महिलाओं पर 61 गर्भ समापन  का औसत था.  

श्री अंसारी के अनुसार इस अभियान का उद्देश्य सभी महिलाओं के लिए स्वैच्छिक गर्भनिरोधक सेवाओं की गुणवत्ता और उपलब्धता सहित इन सेवाओं तक महिलाओं की पहुँच शामिल है, ताकि उन्हें भविष्य में अनचाहा गर्भधारण और मातृ मृत्यु-दर को रोकने में मदद मिल सके।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Top Post Ad



 




Below Post Ad

5/vgrid/खबरे