हलषष्ठी:बच्चों की सुख-समृद्धि और लंबी उम्र के लिए माताओं के द्वारा रखा जाने वाला व्रत हलषष्ठी 28 अगस्त शनिवार को मनाया जाएगा। पहले माताएं दिनभर निर्जला व्रत रखकर शाम को मंदिर परिसर में सगरी बनाकर उसके चारों तरफ बैठकर भगवान शिव और माता पार्वती की कथा सुनकर पूजा करती थी।
उपरोक्त बातें ज्योतिषाचार्य पं आत्मा राम पाण्डेय जी ने बताया की कृष्ण जन्माष्टमी के दो दिन पहले यह त्यौहार भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन माताएं अपने संतान की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखकर घरों में कुंआ बनाकर पूजा करती हैं।
बलराम जी का जन्म पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भादो महीने के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम जी का जन्म हुआ था और उनका प्रमुख शस्त्र हल था, इसलिए इस दिन को हलषष्ठी कहा जाता है, यह दिन माताओं के लिए बहुत ही खास होता है क्योंकि इस दिन संतान की लंबी उम्र के लिए मां निर्जला व्रत रखती हैं।
अब जानें हलषष्ठी की पूजा विधि :- हलषष्ठी के दिन सुबह नहा धोकर साफ कपड़े पहनकर गोबर से जमींन को अच्छे से पोत लें। इसके बाद वहां पर छोटे से तालाब का निर्माण करें। इसके बाद इस तालाब के आसपास झरबेरी और पलाश को लगा दें। इसके बाद पूजा में चना, जौ, गेंहू, धान, और मक्का से पूजा करें। इसके बाद हलछठ की कथा सुनाई जाती है। जिससे संतान की उम्र लंबी होती है।
भैंस के दूध का उपयोग दिन उत्तम होता है, हलषष्ठी के दिन गाय के दूध या दही का सेवन बिल्कुल भी नहीं किया जाता है…
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