अखिलेश्वर तिवारी
जनपद बलरामपुर के आर्य वीर दल कार्यालय ओम भवन के बगल बनाए गए बलिदान पार्क पर अमर शहीद पंडित राम प्रसाद बिस्मिल को 124 वीं जयंती अवसर पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई । सदर विधायक पलटू राम, एसएससी ग्रुप ऑफ कंपनीज के प्रबंध निदेशक धीरेंद्र प्रताप सिंह धीरू, भाजपा मीडिया प्रभारी देवेंद्र प्रताप सिंह बैस सहित कई अन्य विशिष्ट अतिथियों तथा आर्य वीर दल के पदाधिकारियों ने अपना श्रद्धा सुमन अर्पित किया ।
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना हैजोरकितना बाजुए कातिलमें है।।
गोरखपुर जेल में उपरोक्त पंक्तियां लिखने वाले पं.राम प्रसाद बिस्मिल का जन्म 11 जून 18 97 को शाहजहांपुर उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनकी माता मूलमती और पिता पं. मुरलीधर थे। बिस्मिल जी महर्षि दयानंद द्वारा लिखित क्रांतिकारी अमर ग्रंथ सत्यार्थ प्रकाश पढ़ करके आर्य समाज के क्रांतिकारी आंदोलन से जुड़ गये और देश की आजादी के लिए नौजवानों की फौज तैयार करके अंग्रेजों से लोहा लेने लगे। काकोरी घटना में बिस्मिल जी को गोरखपुर , राजेंद्र नाथ लाहिड़ी को गोंडा, पहलवान रोशन सिंह को इलाहाबाद तथा अशफ़ाकउल्ला खान को गोरखपुर जेल में कैद कर दिया गया । अंत में चारों को फांसी की सजा हो गई। 19 दिसंबर 1927 को गोरखपुर जेल में बिस्मिल जी को फांसी दी गई थी । इन क्रांतिकारियों का बलिदान व्यर्थ नहीं गया और 15 अगस्त 1947 को भारत को अंग्रेजों की दासता से मुक्ति मिली।
यह बातें बलिदान पार्क बलरामपुर में पं. राम प्रसाद बिस्मिल के जन्मदिन पर उनके 124 में जयंती पर आयोजित कार्यक्रम के पश्चात आर्य वीर दल देवीपाटन मंडल संचालक आर्य अशोक तिवारी ने कही। प्रातः काल ओम भवन में राष्ट्र रक्षा यज्ञ संपन्न हुआ उसके पश्चात बलिदान पार्क में स्थापित बलिदानियों की मूर्तियों का दर्शन करके दीप प्रज्वलन के साथ राष्ट्र रक्षा का व्रत लिया गया।
"शहीदों की मजारों पर लगेंगे हर बरस मेले"
"वतन पेमरने वालोंका यही बाकी निशाहोगा"
सोशल डिस्टेंस को ध्यान में रखते हुए कार्यक्रम में एक साथ लोग सम्मिलित नहीं हुए बल्कि बारी बारी से अलग-अलग समय में आकर दीप प्रज्वलित किए। कार्यक्रम में स्वामी आत्मानंद, सुनील तिवारी, विजय प्रताप मिश्र आर्यव्रत त्रिपाठी ने भाग लिए।
एक टिप्पणी भेजें
0 टिप्पणियाँ