एस•के•शुक्ला
सुल्तानपुर । "देश बदल रहा है महिलाओं की दशा में सुधार हो रहा है, समय के साथ-साथ नारी शक्ति और भी सशक्त होती जा रही है । परिवर्तन प्रकृति का नियम है ये बात तो सत्य है, किन्तु परिवर्तन का क्या परिणाम हुआ है और क्या होगा और उस परिवर्तन को आने वाली पीढ़ी किस प्रकार स्वीकार करती है और इससे क्या सीख लेती है, ये बात अधिक महत्त्व रखती है । देखा जाए तो हर युग में प्रतिभाशाली महिलाएं रही हैं, और हर युग में उन्होंने अपनी प्रतिभा से समाज में एक उदाहरण प्रस्तुत किया है । आज भी तमाम महिलाएं विभिन्न क्षेत्रों में अपना मुकाम हासिल कर, आत्मनिर्भर बन रही हैं । आत्मनिर्भरता और सफलता के लिए खुद पर विश्वास व कार्य के प्रति प्रतिबद्धता जरूरी होती है ।" यह बातें महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में कार्य करने वाली डॉ. पल्लवी तिवारी ने कही । उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण में ये ताकत है कि वो समाज और देश में बहुत कुछ बदल सकें । वो समाज में किसी समस्या को पुरुषों से बेहतर ढ़ंग से निपट सकती हैं । वो देश और परिवार के लिये अधिक जनसंख्या के नुकसान को अच्छी तरह से समझ सकती हैं । अच्छे पारिवारिक योजना से वो देश और परिवार की आर्थिक स्थिति का प्रबंधन करने में पूरी तरह से सक्षम है । इसके लिए जहाँ एक ओर देश में तमाम सरकारी योजनाएं संचालित हैं, वहीं विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है । मूलतः सुल्तानपुर जनपद की रहने वाली डॉ. पल्लवी तिवारी को उनके सामाजिक कार्यों, उपलब्धियों और आत्मनिर्भर बनकर समाज में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस पर स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय मेरठ एवं गृहणी संस्था के सयुंक्त तत्वाधान में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया । गौरतलब है कि यूके, सिंगापुर, और स्पेन की चयन समिति द्वारा चयनित देश की कुल 51 सशक्त महिलाओं को इस कार्यक्रम में सम्मान मिला । पिछले वर्ष मिसेज इंडिया ग्लोब की 2 रनरअप रहीं पल्लवी तिवारी जूनियर हाईस्कूल में सहायक अध्यापिका के पद पर तैनात हैं । कैंसर की दवाओं पर शोध करने वाली डॉ. पल्लवी द्वारा समाज में कैंसर के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता रहा है । एक पोषण विशेषज्ञ के रूप में कार्य करते हुए इनके द्वारा समाज के लोगों को स्वस्थ रखने का भी कार्य किया जा रहा है । ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों की लड़कियों व महिलाओं को सशक्त करने के उद्देश्य से विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करना, लड़कियों की शिक्षा के लिए कैरियर काउंसलर और प्रेरक के रूप में कार्य करना, सामाजिक संस्था "घर" से जुड़कर सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में समाज के लिए कार्य करना, स्वास्थ्य और स्वच्छता तथा पर्यावरण के क्षेत्र में लोगों को जागरूक करना डॉ. पल्लवी की दिनचर्या में शामिल है । डॉ. पल्लवी कहती हैं कि पूरा विश्व इन दिनों कोरोना महामारी के चलते आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है । भारत में भी इस महामारी के कारण बेरोजगारी बढ़ी । ऐसी विषम स्थिति में पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं में भी आत्मनिर्भरता जरूरी है । क्योंकि पुरूषों की तरह महिलाएं भी देश की समान नागरिक हैं और उन्हें भी स्वावलम्बी होना चाहिए । महिलाओं की आत्मनिर्भरता परिवार के साथ साथ देश के विकास को एक गति व नई दिशा देगी ।
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