माहवारी स्वच्छता के प्रति छात्राओं को करती हैं सतर्क
अभी तक हजारों बच्चियों को दे चुकी हैं मोटीवेशन
आलोक कुमार बर्नवाल
सन्तकबीरनगर। उनके निर्देशन में 226 स्कूलों व 7 इण्टर कालेजों के बच्चों के स्वास्थ्य के निगरानी की जिम्मेदारी है। वह स्कूलों में स्वास्थ्य परीक्षण के लिए अपनी टीम लेकर जाती हैं तो बच्चों के स्वास्थ्य जांच के साथ ही उनकी कैरियर काउन्सिलिंग करना भी नहीं भूलती हैं। यही नहीं स्कूल की छात्राओं के माहवारी स्वच्छता पर उनका विशेष ध्यान रहता है। उनको पाने के बाद छात्राएं कोई भी सवाल करने से हिचकती नहीं हैं बल्कि खुलकर अपनी बातों को भी रखती हैं।
हम बात कर रहे हैं राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के खलीलाबाद ब्लाक की मेडिकल आफिसर डॉ रचना यादव की। मूल रुप से लखनऊ जनपद की निवासी रचना यादव वर्ष 2013 से सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र खलीलाबाद में मेडिकल आफिसर हैं। हर साल वे तकरीबन 20 हजार से अधिक बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण कराती हैं तथा गंभीर बीमारियों से ग्रसित बच्चों को हायर सेण्टर पर इलाज करवाकर उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का काम करती हैं। एक विशेष बात यह है कि जब वे स्वास्थ्य परीक्षण टीम को लेकर जाती हैं तो परीक्षण के बाद बच्चियों की अलग से काउन्सिलिंग भी करती हैं। खुद से जुड़े अनुभवों के बारे में बताती हैं तथा उन्हें उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित करती हैं। माहवारी स्वच्छता उनका प्रमुख विषय होता है और वे इससे जुड़ी हुई वास्तविक स्थिति से उन्हें अवगत कराती हैं। माहवारी स्वच्छता को लेकर भ्रान्तियों के बारे में जागरुक भी करती हैं। इसी का परिणाम है कि वे जब भी किसी स्कूल पर जाती हैं तो छात्राएं उन्हें घेर लेती हैं और सवालों की झड़ी लगा देती हैं। इसके बाद तो वह हर बच्ची के सवाल का जबाव देती हैं, चाहे समय कितना भी लगे, कई बार तो स्कूलों की छुट्टी तक हो जाती है और छात्राएं उन्हें घेरे रहती हैं। जूनियर हाईस्कूल खलीलाबाद की छात्रा पूजा बताती हैं कि डॉ रचना मैम आती हैं तो उन्हें बहुत अच्छा लगता है। उनकी प्रेरक बातें बहुत ही अच्छी होती हैं।
कैरियर काउंसिलिंग के लिए यह देती हैं टिप्स
कैरियर काउन्सिलिंग के लिए किशोरियों को वे टिप्स देना नहीं भूलती हैं। वे किशोरियों को यह समझाती हैं कि पढ़ाई में पूरी तरह से मन लगाएं। यह उम्र पढ़ने की है, पढ़ने के सिवाय और किसी चीज का ध्यान ही नहीं रखना चाहिए। जब पढ़कर कुछ बन जाएंगी तो अपने सारे शौक पूरे कर लेना, लेकिन पहले पढ़ाई बहुत ही आवश्यक है। सुबह उठकर अध्ययन जरुर करें, क्योंकि उस समय दिमाग पूरी तरह से आराम करने के बाद स्फूर्त रहता है। उस समय के अध्ययन के बहुत मायने होते हैं।
कोरोना काल में आरआरटी टीम में किया काम
बहुमुखी प्रतिभा की धनी डॉ रचना यादव ने कोरोना काल के दौरान बहुत ही बेहतर कार्य किया। इसके लिए उन्हें जिलाधिकारी ने कोरोना योद्धा सम्मान भी दिया। जिस समय कोरोना को लेकर अति सतर्कता बरती जा रही थी और बाहर से लोगों को लेकर ट्रेनें आ रही थीं, उस समय भी उन्होने काफी तन्मयता से काम किया। दिन हो या रात थर्मल स्कैनर के साथ रेलवे स्टेशन पर वह दिख ही जाती थीं। सबसे बड़ी बात यह रही कि कोरोना रोगियों के बीच रहने के बाद भी कोरोना उन्हें छू तक नहीं पाया।
गरीब बच्चों का इलाज व महिलाओं का उत्थान है प्राथमिकता - डॉ रचना
डॉ रचना यादव कहती हैं कि गरीब बच्चों को खोजकर उनका मुफ्त इलाज कराना ही उनकी प्राथमिकता है। छात्राओं को उनकी बीमारियों के बारे में बताकर अच्छा लगता है। कोशिश होती है कि उन्हें आगे जाने के लिए प्रेरित किया जाय। जब गांव की एक बालिका किसी बेहतर मुकाम पर पहुंचती है तो यह गौरवपूर्ण क्षण होता है। इसी दिशा में निरन्तर कार्य करते रहना उनका ध्येय है।
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