सब सेण्टर या पीएचसी पर नहीं होगा हाई रिस्क प्रेगनेन्सी वाली महिलाओं का प्रसव
एम्बुलेंस चालकों को भी दिया गया है निर्देश कि वे ऐसी महिलाओं को हायर सेण्टर ले जाएं
आलोक कुमार बर्नवाल
सन्तकबीरनगर। उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं का प्रसव किसी भी दशा में एएनएम सेण्टर में नहीं होगा। बल्कि सीधे जिले में मौजूद 4 बड़े स्वास्थ्य केन्द्रों / रेफरल अस्पतालों पर ही होगा । इन बड़े स्वास्थ्य केन्द्रों में सीएचसी हैसर, खलीलाबाद, मेंहदावल और जिला अस्पताल शामिल हैं। स्त्री रोग विशेषज्ञों की निगरानी में ही ऐसे प्रसव कराए जा सकते हैं, ताकि प्रसव में जटिलता आने पर तुरन्त ही आवश्यक प्रबन्ध करके मातृ व शिशु मृत्युदर को रोका जा सके।
अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ मोहन झा ने यह जानकारी देते हुए बताया कि गर्भवती महिलाओं का रजिस्ट्रेशन होने के बाद उनके कार्ड पर मुहर लगती है। इसमें से एक श्रेणी हाई रिस्क प्रेग्नेन्सी (एचआरपी) यानि अति गंभीर मरीजों की भी होती है। इन महिलाओं की जांच हायर सेण्टर पर कराई जाती है। साथ ही जिले के सभी 102 एम्बुलेन्स चालकों को यह निर्देश दिया गया है कि जिन महिलाओं के मातृत्व कार्ड पर एचआरपी की मुहर लगी है, उनको प्रसव के लिए सीधे जिले में स्थित चार हायर सेण्टरों पर ले जाएं। वहां विशेषज्ञों की निगरानी में उनका प्रसव कराया जाएगा। इससे मातृत्व मृत्युदर को रोकने में और सफलता मिलेगी। एचआरपी महिला के चिन्हीकरण के लिए एएनएम को 200 रुपए तथा आशा कार्यकर्ताओं को बड़े स्वास्थ्य केन्द्रों पर प्रसव कराने के लिए 300 रुपए की प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है।
कौन आता है अति गम्भीर के दायरे में
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र खलीलाबाद की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ रेनू यादव बताती हैं कि हाई रिस्क प्रेग्नेन्सी का दायरा दो तरह से तय होता है। पहला वर्तमान शरीरिक संरचना के आधार पर जिसमें हीमोग्लोबीन 7 ग्राम से कम, ब्लड प्रेशर 140/ 90 से अधिक, वजन 35 किलो से कम, उम्र 35 वर्ष से अधिक, यूरीन में प्रोटीन व सुगर इत्यादि आते हैं। दूसरा पूर्व इतिहास के आधार पर तय होता है जिसमें 2 से अधिक एबार्सन, 1 मृत बच्चे का पैदा होना, 4 बार से अधिक गर्भवती होना, पिछला बच्चा आपरेशन से पैदा होना तथा प्रसव के दौरान पूर्व में कोई जटिलता जैसे बच्चा टेढ़ा होना, उल्टा होना, एचआईवी पाजिटिव होना आदि हो तो वह गर्भवती महिला हाई रिस्क प्रेग्नेन्सी के दायरे में आती है।
15%गर्भवती महिलाएं है एचआरपी
उत्तर प्रदेश तकनीकी सहयोग इकाई (यूपीटीएसयू ) के जिला तकनीकी विशेषज्ञ बताते हैं कि सभी गर्भवती महिलाओं में 15 प्रतिशत महिलाएं एचआरपी के अन्तर्गत आती हैं। इनमें से 2.1 प्रतिशत महिलाएं सीवियर एनिमिक हैं, अर्थात जिनमें एनीमिया की प्रतिशतता 7 ग्राम से कम है। इससे होने वाली मातृ मृत्युदर को कम करने के लिए ही एचआरपी महिलाओं का चिन्हीकरण किया जाता है तथा उसे आवश्यक सुविधाएं देकर मृत्युदर को रोका जाता है।
129 एचआरपी चिन्हित
प्रधानमन्त्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के दौरान पिछले माह 172 एचआरपी महिलाएं चिन्हित की गई हैं। इनमें से 129 का आशा कार्यकर्ता व एएनएम के द्वारा फालोअप किया जा रहा है। वहीं अन्य महिलाएं दूसरे जनपदों या ब्लाकों में मायके या ससुराल पहुंच जाने की वजह से उनकी लिस्टिंग की जा रही है। इस सूचना से वहां की आशा कार्यकर्ता व एएनएम को अवगत करा दिया जाएगा।
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