एस के शुक्ला
प्रतापगढ़:पुरुषों के सहयोग के बिना महिलाये आगे नहीं बढ़ सकतीं. महिलाओं को बराबरी का हक़ देने के लिए पुरुषों को आगे आना चाहिए । उक्त विचार अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर 8 मार्च को नारी संघ व तरुण चेतना रामपुर बेला में आयोजित महिला अधिकार सम्मेलन में मिशनशक्ति जेंडर चैम्पियन रानी मिश्रा ने व्यक्त किया ।
सुश्री मिश्रा ने कहा कि महिलाएं किसी भी मायने में पुरुषों से कम नहीं है मगर पितृसत्ता ने उनके उनके ज्यादातर अधिकार पुरुषों के हाथ सौंप दिए है जिन्हें अब वापस लेना है . रानी मिश्रा ने जोर देकर कहा कि महिलाएं भी पुरुषों के साथ कड़क से कदम मिला कर बराबर चल सकती है. पुरुषों को महिलाओं के काम का सम्मान करना चाहिए तभी परिवार व समाज का संतुलित विकास होगा.
सुश्री मिश्रा ने कहा कि महिलाएं किसी भी मायने में पुरुषों से कम नहीं है मगर पितृसत्ता ने उनके उनके ज्यादातर अधिकार पुरुषों के हाथ सौंप दिए है जिन्हें अब वापस लेना है . रानी मिश्रा ने जोर देकर कहा कि महिलाएं भी पुरुषों के साथ कड़क से कदम मिला कर बराबर चल सकती है. पुरुषों को महिलाओं के काम का सम्मान करना चाहिए तभी परिवार व समाज का संतुलित विकास होगा.
इस अवसर पर तरुण चेतना के निदेशक मु0 नसीम अंसारी ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए महिला संघर्षों के इतिहास व महिला दिवस के उद्देष्यों पर प्रकाश डाला। श्री अंसारी ने दहेज़ व महिला हिंसा की समाप्ति हेतु जोर देकर कहा अपनी बीबी पर जुल्म करना मर्दानगी नहीं बल्कि कायरता है. उन्होंने अहमदाबाद की आयशा प्रकरण का उल्लेख करते हुए कहा कि बीबी या ससुराल से पैसे की मांग करना मर्दानगी कदापि नहीं हो सकती उन पर लानत है. अगर जो लोग अपने को मर्द कहते हैं उन्हें दहेज़ जैसी कुप्रथा को ख़त्म करने के लिए आगे आना चाहिए. श्री नसीम अंसारी ने बेटियों का आह्वान किया कि उन्हें हिंसा व छेड़खानी कदापि अपनी जान नहीं देना है, चाइल्डलाइन-1098 उनके साथ है.
इस अवसर पर मैसवा मैन हकीम अंसारी ने कहा महिलाये संगठन के बल पर हर सफलता पा सकरी हैं इसके लिए उन्हें अबला नहीं सबला बन कर अपने अधिकार छीनने होंगें. उन्होंने कहा कि महिलाओं के बिना समाज की कल्पना करना व्यर्थ है. महिलाओं के सशक्तीकरण व अधिकार पाने में उनके समक्ष लिंग भेद व महिला हिंसा जैसी अनेक चुनौतियॉ है, जिसका वे समूह जैसे संगठन के बल पर ही मुकाबला कर सकती हैं। इसी क्रम में राकेश गिरी ने कहा कि खेती का 75% काम महिलाये ही करती हैं फिर भी हमारा पुरुष प्रधान समाज उन्हें किसान का दर्जा नहीं देता है. जबकि महिलायें ही असली किसान है.
इस महिला अधिकार सम्मलेन में नारीसंघ लीडर सावित्री बहन ने कहा कि अधिकार लेने के लिए हम सबको आगे आना होगा, इसके लिए चाहे संगठन बनाकर संघर्ष ही करना पड़े तो भी पीछे नहीं हटना है. इसी क्रम में समूह सचिव शोभावती मौर्य ने कहा कि बहुत से पति अपनी पत्नियों को घर की चहारदीवारी में कैद रखना चाहते है इसके लिए पुरुषों को अपनी मानसिकता बदलनी होगी. इसी क्रम में ज्योति पटेल ने कहा जो पुरुष महिलाओं व बेटियों को चूल्हे तक ही सीमित रखना चाहते हैं उन्हें अपनी सोच बदलनी होगी और विश्वाश करना होगा कि महिलाएं भी उनके साथ बराबर चल सकती हैं. इस अवसर पर शकुंतला देवी ने महिला-पुरुष दोनों को विकास रूपी एक गाड़ी का दो पहिया बताते हुए महिला हिंसा के खात्में के लिए पुरुषों को आगे आने की आवश्यकता जताई। इस अवसर पर चाइल्डलाइन प्रतापगढ़ के टीम मेंबर आजाद आलम ने भी हेल्पलाइन के कामों पर विस्तार से प्रकाश डाला.
इस 111वें अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आयोजित इस महिला अधिकार सम्मेलन में अभिशेष कुमार, रोहित कुमार आदि समानता के साथियों ने भी जेंडर समानता के लिए किये जा रहे अपने कामों की कहानी भी प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के अंत में महिलाओं ने महिला हिंसा के खिलाफ एक रैली भी निकाली जिसमें गुलाब चन्द्र, कलावती देवी, मुजम्मिल हुसैन, बृजलाल पटेल व भूलन राम सहित सैकड़ों महिला किसानों ने प्रतिभाग किया।
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