सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र हैसर में आयोजित हुआ जागरुकता शिविर
लोगों को दिया गया मानसिक स्वास्थ्य के उपचार के लिए बेहतर परामर्श
आलोक कुमार बर्नवाल
सन्तकबीरनगर। मानसिक विकारों का समाधान झाड़ फूंक और अंधविश्वास के चक्कर में पड़कर कतई नहीं किया जा सकता है। बल्कि इसके लिए आपको मनोचिकित्सक के उचित परामर्श और इलाज की जरुरत होती है। इसलिए कभी भी इन चक्करों में न पड़ें अन्यथा इस विकार से ग्रसित व्यक्ति की जान भी जा सकती है।
यह बातें सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र हैसर के प्रभारी चिकित्सा अधीक्षक डॉ. वी. के. सिंह ने राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत आयोजित जागरुकता शिविर को सम्बोधित करते हुए कही। इस अवसर पर महिला चिकित्सक डॉ वृन्द सागर ने कहा िक कि मनोरोग या मानसिक समस्या को लेकर हम जितना अधिक जागरूक होंगे, इस विषय पर जितना अधिक बात करेंगे या जानकारी साझा करेंगे और इसे शारीरिक समस्या की तरह ही सामान्य समझेंगे, उतनी ही आसानी से इस समस्या से लड़ा जा सकता है। आत्महत्या और तनाव जैसी समस्या से अपने समाज को मुक्त किया जा सकता है। डॉ डीपीएन शुक्ला ने कहा कि ध्यान रखिए, मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता, नैदानिक मनोचिकित्सक और मनोचिकित्सक हमेशा मनोरोगी की सहायता के लिए तत्पर हैं। ब्लाक कार्यक्रम प्रबन्धक अशोक कुमार ने कहा कि ऐसे मामलों में जरूरत है तो जागरूक होने की, समस्या पर चर्चा करने की और सबसे जरूरी मानसिक रोगी को घृणा या हेय दृष्टि से देखने के बजाय संवेदनशीलता दिखाने की और उसे आगे आने और अपनी समस्या खुलकर बताने के लिए प्रोत्साहित करने की। इसलिए कहीं भी कोई ऐसा व्यक्ति किसी भी परिवार में मिले तो उसे अस्पताल तक जरुर लाएं, ताकि उपचार के उपरान्त वह समाज की मुख्य धारा में शामिल हो सके।
इस दौरान पूर्व ग्राम प्रधान जब्बार अली, आशुतोष कुमार प्रधान प्रतिनिधि, संतोष कुमार, आशा कार्यकर्ता सरोजनी, ममता, किरन श्रीवास्तव, आशा संगिनी इंद्रावती मिश्रा, ममता पांडेय, अनीता देवी, संगीता चतुर्वेदी,एएनएम फूला देवी, अन्नपूर्णा सिंह, किरन देवी, शशि किरन समेत अन्य लोग मौजूद रहे। सभी ने यह संकल्प लिया कि वे मनोरोग से जूझ रहे लोगों को स्वास्थ्य केन्द्र जाकर मनोचिकित्सकों की सलाह लेने के लिए प्रेरित करेंगे।
मानसिक समस्या व मूर्खता में है अंतर–डॉ तन्वंगी मणि शुक्ला
जिला संयुक्त चिकित्सालय की एनसीडी सेल की मनोचिकित्सक डॉ तन्वंगी मणि शुक्ला बताती हैं कि मानसिक समस्या को प्राय: मनोविकृति या मूर्खता से संबंधित समस्या मान लिया जाता है जबकि यथार्थ में ऐसा बिलकुल नहीं है। यह मनोरोग का एक प्रतिशत से भी कम है। अवसाद,उलझन और तनाव तेजी से बढ़ती मानसिक बीमारियां हैं जिन्हें हम नजरअंदाज करते हैं। अवसाद की समस्या में व्यक्ति को नींद न आना, भूख न लगना, शरीर का वजन अचानक कम या ज्यादा होना, मन उदास रहना,किसी से भी मिलने का मन न करना, नकारात्मक बातें सोचना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। कुछ लोगों को अंधेरे से डर लगता है, तो कुछ को मंच से,बच्चों को परीक्षा से डर लगता है तो किसी को छिपकली से; इन सभी समस्याओं का निदान संभव है यदि आप सही समय पर मनोचिकित्सक से उचित परामर्श लें।
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