रजनीश / ज्ञान प्रकाश
करनैलगंज(गोंडा)। स्कीम वर्कर समन्वय समिति देवीपाटन मंडल की अगुवाई में आंगनबाड़ी कार्यकर्ती व आशा, संगिनी महिलाओं ने जिलाधिकारी को संबोधित एक सात सूत्री ज्ञापन खंड विकास अधिकारी को सौंपा। जिसमें प्रदेशभर की महिला कर्मियों की अलग-अलग मांगों के आधार एवं उनकी समस्याओं को लेकर यह ज्ञापन सौंपा गया। जिसमें प्रदेश के सभी जिलों में कार्यरत आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों, सहायिका, आशा, संगिनी, रसोईया आदि को राज्य कर्मचारी का दर्जा दिए जाने, प्रदेश सरकार द्वारा आईसीडीएस राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन एवं प्री प्राइमरी को प्रोत्साहन करने के लिए कोई बजट नहीं दिया गया और बजट बढ़ाने की मांग, बाल विकास परियोजना द्वारा आंगनबाड़ी केंद्रों पर आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति से कमजोर कार्यकर्ताओं के केंद्र पर बच्चों लाभार्थियों के बैठने के लिए कुर्सी, मेज नहीं दिया गया। सभी केंद्रों पर इसकी आपूर्ति कराई जाए। आंगनबाड़ी केंद्रों पर बिजली एवं शौचालय की स्थिति बेहद दयनीय है तथा पेयजल के लिए हैंडपंप खराब चल रहे हैं उन्हें सही कराया जाए। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में कार्यरत आशा, आशा संगिनी की स्थिति को दृष्टिगत रखते हुए विभागीय कर्मचारियों की मिलीभगत से मनचाहा कार्य प्रपत्र भरकर धन लेकर भुगतान में अनियमितता बरती जा रही है। अस्पताल में डिलीवरी कराने के समय चाय, नाश्ता, दूध, अंडा आदि दिए जाने का प्रावधान है परंतु ऐसा नहीं हो रहा है। जिसकी जांच कराई जाए। गोंडा जिले में कार्यरत मिड डे मील कर्मचारी रसोईया कोरोना काल में भी प्रवासी मजदूरों की सेवा में लगी थी। बच्चों के स्कूल बंद होने से इनका कार्य प्रभावित हुआ। उनके भरण-पोषण के लिए बाधित मानदेय न्यूनतम वेतनमान के रूप में जारी किया जाए। राष्ट्रीय आजीविका मिशन से स्वयं सहायता समूह से जुड़ कर हजारों महिलाओं को रोजगार देने का दावा किया जा रहा है जो पूरी तरह गलत है। महिला स्वयं सहायता समूह से दाल वितरण लिया और दाल समूह की महिलाओं को दिया गया जो गुणवत्ता विहीन थी। इसकी पुनरावृति पर रोक लगाई जाए। ज्ञापन देने वालों में समिति के मंडल संयोजक दिलीप शुक्ला, मंडल महामंत्री मीनाक्षी खरे, संतोष श्रीवास्तव, सरोज, संगीता, पदमा, राधा, रामा, किरन, शशि प्रभा, सुलोचना, शीला, केश कुमारी आदि शामिल रहीं।
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