ए. आर. उस्मानी
गोण्डा। जिला अधिकारी मार्कण्डेय शाही का आदेश तहसील व ब्लाक मुख्यालयों पर तैनात अधिकारियों एवं कर्मचारियों की मनमानी पर भारी पड़ रहा है। मुख्यालयों पर ठहरने का डीएम का फरमान मातहतों के लिए कोई मायने नहीं रखता है। आलम यह है कि बेपरवाह अधिकारी व कर्मचारी मुख्यालयों पर नहीं रूक रहे हैं बल्कि वे शहर में किराए के मकानों में रातें गुजार रहे हैं या फिर डाक बंगलों में।
जिले के मनकापुर कस्बे के मध्य स्थित पीडब्ल्यूडी विभाग के अतिथि गृह में बीते कई वर्षों से करनैलगंज तहसील में तैनात तहसीलदार तथा मनकापुर तहसीलदार तहसीलों में बने आवास में निवास न करके अतिथि गृह में जमे हुए हैं। इसी क्रम में खंड शिक्षा अधिकारी अपने मुख्यालय पर लखनऊ से आते जाते हैं। विकास खंड अधिकारी, सीडीपीओ, विद्युत विभाग जेई सहित कई अधिकारी अपने-अपने कार्यालयों को खालाजी का घर बनाए हुए हैं। जिले के तमाम सीएचसी की भी यही कहानी है, जहां मुख्यालय पर न रहकर चिकित्सक तथा अन्य स्वास्थ्यकर्मी या तो घरों को चले जाते हैं या फिर जिला मुख्यालय पर किराए के मकानों पर रहते हैं। ऐसे में रात्रि में अस्पतालों में आने वाले इमरजेंसी केसों में को त्वरित उपचार नहीं मिल पाता है और उन्हें जिला अस्पताल लेकर जाना पड़ता है। यदि रात में जिले की सीएचसी का ही औचक निरीक्षण करा लिया जाय तो हकीकत सामने आ जाए।
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