मनकापुर गोंडा- ऋतुराज बसंत के आगमन पर स्वामी विवेकानंद इंटर कॉलेज मनकापुर में शाम को एक काव्य संध्या का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ सतीश आर्य एवं संचालन केदारनाथ मिश्र ललक ने किया। मां शारदे की वंदना ईश्वर चंद मेंहदावली ने किया। कवि सुधांशु बसंत ने अपने घर की महिमा बताते हुए पढ़ा- अपना यह घर स्वर्ग है, अपना घर है धाम। अपने घर में हैं खुदा, अपने घर में राम।। कवित्री पूजा मनमोहिनी ने रविदास की महिमा का वर्णन करते हुए कहा- तप बल से लोग जिनके है, हैरान हो गए। रविदास भक्त दुनिया में हैं, महान हो गए।। डॉ धीरज श्रीवास्तव ने अपनी रचना कुछ इस अंदाज में पढ़ी- छुआ दृष्टि ने देह को, हुए गुलाबी गाल। बाहुपाश में भावना, विवश और बेहाल।। चंद्रगत भारती ने रविदास के बारे में कहा- कहती है रविदास को दुनिया, संत शिरोमणि जग से न्यारा। चमक रहा है रवि जैसा ही, मानवता का सिरजन हारा।। पंडित राम हौसिला शर्मा ने ऋतु राज बसंत का स्वागत करते हुए पढ़ा- सज धज कर आ गए, ऋतुराज हैं। मगन गगन और धरा, चारों ओर हरा भरा। नृत्य करता मन मयूर आज है।। रामकुमार नारद ने रविदास को जगत का मार्गदर्शक बताते हुए पढ़ा- जग मा कोउ न बन सका दूजा है रविदास। जगत तारिणी सुरसर जिनके रहत कटौतिम पास।। सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ सतीश आर्य ने गंग और रविदास का संबंध इस प्रकार बताया- सब जात है गंगा के पास मुला। रविदास कठौती मा आवत गंगा।। ईश्वरचंद्र मेंहदावली ने कहा- कर्मठ गुरु रविदास जयंती, हम आज मनाते हैं। उनके कर्मठता को पढ़ते, हम निशदिन गाते हैं।। केदारनाथ मिश्र ने बेरोजगारों को प्रधानी लड़ने की सलाह देते हुए पढ़ा- जब लागै न कहूं दांव, सोचो उपाय प्रधानी कै। बड़का न सही छोट कै, पावो लाइसेंस लियो बेईमानी कै।। राम लखन वर्मा ने पढ़ा- ऐसे गुरु रविदास को, नमन करूं सौ बार। हाथ जोड़ विनती करूं, बन्दन सौ सौ बार।। इसके अलावा उमाशंकर दुबे, राजेश मिश्रा आदि साहित्यकारों ने भी संत रविदास को अपनी कविताएं समर्पित की प्रधानाचार्य सर्वेश भट्ट, चंद्रभान, धनुषधारी पांडे, राकेश पांडे, दिनेश पांडे, राम गोपाल चौहान, ज्ञानेंद्र चौधरी आदि उपस्थित रहे। अंत में विद्यालय के नियंत्रक गोष्टी के संरक्षक पंडित राम हौसिला शर्मा ने आए सभी साहित्यकारों, पत्रकारों, पुरुषों को धन्यवाद ज्ञापित किया।
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