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बूढ़े माँ-बाप बूढ़े दरख्तों की तरह हैं...

कवि सम्मेलन मे विविध रसरंग पर श्रोता हुए भावविभोर

एसके शुक्ला

 प्रतापगढ़। भारत-भारतीय का जगदीशपुर भीखमशाह पुरवा की बाग लालगंज का कवि सम्मेलन लाजवाब काव्यपाठ की प्रस्तुति से सम्पन्न हुआ।एक से बढ़कर एक रचना कवि सम्मेलन में श्रोताओं को भावविभोर करती रही।कविता के विविध रस एवं रंग में श्रोता डुबकी लगाते रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि सुशील कुमार सिंह सोमवंशी ने माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यापर्ण एवं दीप प्रज्ज्वलन करके किया।


उन्होंने साहित्यकारों को समाज का सच्चा उपदेशक बताया। विशिष्ट अतिथि अभय प्रताप सिंह रहे। जया मिश्रा की वाणी वन्दना से कवि सम्मेलन गतिमान हुआ। राम केवल वर्मा लहरी ने कोटेदार चालीसा से वर्तमान खाद्यान्न वितरण पर व्यंग्य बाण चलाते हुए श्रोताओं को हँसाया। रामेश्वर सिंह निराश ने राष्ट्रीय एकता पर आधारित ओजस्वी कविताओं के वाचन के साथ गौरैया पर सुन्दर रचना का वाचन किया। राजेन्द्र शुक्ल अमरेश जेहि घर सासु भा जवान केतिक सुख पावर रे पतोहिया से लोटपोट किया तो राम बदन शुक्ल पथिक ने मलकिन तौ परधान होइ गइन से लोगों को गुदगुदाना। कु. जया मिश्रा नारी को क्यों सताते हो रचना से मौजूद नारी-पुरुष की आँखों को नम कर दिया।लोकेश त्रिपाठी ने मानव को माटी का पुतला बताते हुए अध्यात्म संदेश दिया तो हस्सान सागर बचपन पर बेहतरीन गजल पढ़ा। डॉ.रणजीत सिंह का सरस संचालन एवं माँ-बाप पर काव्य पाठ-बूढ़े माँ-बाप बूढ़े दरख्तों की तरह हैं ,जो फल भले न दें मगर छाया जरूर देंगे चिंतनपरक था। संयोजक मास्टर निजामुद्दीन एवं आयोजक बालचन्द्र वर्मा ने कवि सम्मेलन की उपादेयता पर प्रकाश डाला। ज्ञाननाथ वर्मा, अमितकुमार सरोज, सिपाही काका, लाल अवधेन्द्र सिंह, अभय राज सिंह, संजय उपाध्याय, मुइनुद्दीन, राकेश पाण्डेय, केपी सिंह, रामनेवाज सरोज, केशे वर्मा रहे। वहीं कवि सम्मेलन के दौरान आयोजन समिति द्वारा मेधावी रवीना वर्मा, अंजनी श्रीवास्तव, प्रदीप वर्मा, अर्चना वर्मा, शिवानी सरोज, कोमल विश्वकर्मा, सूफिया बानो, रिहाना बानो, महजबीन बानो,अर्चना वर्मा, आफरीन बानो को सम्मानित भी किया गया।

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