माता-पिता जैसे गहनें हों घर तो.........
एस•के• शुक्ला
प्रतापगढ़ । नगर स्थित विद्यार्थी प्रेस पर वरिष्ठ पत्रकार डॉ 0आर0 के 0विद्यार्थी के आयोजन में उनके जन्मदिवस एवं नववर्ष के उपलक्ष में एक काव्य संध्या का आयोजन जनपद के वरिष्ठ साहित्यकार पंडित भानु प्रताप त्रिपाठी 'मराल' की अध्यक्षता में संपन्न हुई ।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अनिल प्रताप त्रिपाठी 'प्रवात' रहे । मां सरस्वती की वंदना सत्येंद्र नाथ मिश्र मृदुल तथा संचालन सुनील प्रभाकर ने किया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रुप में पधारे वारिष्ठ पत्रकार संतोष भगवन ने डॉक्टर विद्यार्थी को एक आदर्श पत्रकार बताते हुए उन्हें जन्मदिन की बधाई दी । अधिवक्ता अशोक कुमार श्रीवास्तव ने गुरु वंदना करते हुए पढ़ा --तेरी याद तेरे खयाल को मैंने दिल में जब से बसा दिया ।मैंने हर चिराग बुझा दिया ।तेरा इक चिराग जला दिया। कवि -कहानीकार प्रेम कुमार त्रिपाठी 'प्रेम 'ने माता -पिता की गरिमा बताते हुए पढ़ा --माता-पिता जैसे गहनें हों घर तो, संवरने को सोना नहीं चाहिए । वरिष्ठ साहित्यकार मृदुल ने पंक्तियां कुछ इस प्रकार से पढ़ा- जिंदगी की हकीकत समझ लीजिए ,रास्ता हो गलत तो बदल दीजिए ।मुख्य अतिथि अनिल प्रताप त्रिपाठी 'प्रवात' ने कोरोना के बचाव में पढ़ा- कुदरत का तोहफा है जीवन कुदरत का तोहफा है जीवन, मत इसका अपमान करें ।संयम बरतें रहे सुरक्षित,तन मन से अपदान करें ।। गीतकार सुनील प्रभाकर ने नव वर्ष के स्वागत में पढ़ा- राजमहल या जंगलमय हो ,नया वर्ष मंगलमय हो ।कार्यक्रम के अध्यक्ष पंडित 'मराल' ने पढ़ा- नववर्ष की दे रहा बधाई आप सबका हूं करता अभिनंदन ।खुश रहें स्वस्थ रहें आप सभी इन भावों से मां बेल्हा का वंदन। कार्यक्रम में मौजूद संतोष पांडेय,के डी पटेल ने विद्यार्थी को जन्मदिन की बधाई दिया। अंत में आर0 के 0विद्यार्थी ने सभी आगंतुकों के प्रति आभार व्यक्त किया ।
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