बसों का स्टाप ना होने से यात्रियों,व्यापारियों में छायीं मायूसी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वीडियो कान्फ्रेसिगं के जरिए किया था लोकार्पण
इमरान अहमद
मनकापुर गोण्डा : यात्रियों की सुविधा के लिए मनकापुर ब्लाक के सामने बना बस शेल्टर हाथी का दाँत बनकर रह गया है। यहां बसों की स्टाप ना होने से 4.14 लाख की लागत से बना बस शेल्टर यात्रियों को मुंह चिढ़ा रहा है।
बताते चलें की उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की नवीन परियोजना के तहत मुसाफ़िरों के सुखद यात्रा के लिए मनकापुर ब्लाक के सामने बस शेल्टर होम का निर्माण किया गया था। जिसका लोकार्पण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वीडियो कान्फ्रेसिगं के जरिए किया था।इस दौरान तत्कालीन ज़िलाधिकारी नितिन बंसल व गौरा विधायक प्रभात वर्मा ने बसो को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। उसके बाद आज तक कोई भी बसों के पहिये यहां नही थमे।बल्कि आलम यह है की शेल्टर के सामने मोरंग,बालू गिरा कर अवैध कब्जा कर लिया गया है।
मनकापुर में कोई बस स्टाप ना होने से नवर्निमित बस शेल्टर के बनने के बाद गोण्डा,लखनऊ,कानपुर तक के सफ़र करने वाले मुसाफ़िरों खास कर व्यापारियो को सुखद यात्रा की एक उम्मीद जगी थी। मगर यहां बसों का स्टाप ना होने से यात्रियों की उम्मीदों पर पानी फिरता नज़र आ रहा है।मनकापुर में ना तो कोई प्राइवेट यात्री वाहनों के खड़े होने का कोई निश्चित स्थान है और न ही रोडवेज का बस अड्डा। कस्बे से होकर गुजरने वाली बसों को सड़क किनारे जगह मिलने पर बस रोककर सवारियां उतारने और चढ़ाने का काम होता है।इस रूट पर रोडवेज बसों की संख्या होने के बावजूद भी यात्रियों को मायूस होकर डग्गामार वाहनों का सहारा लेने पर मजबूर होना पड़ता है। इस रूट पर यात्रा करने वाले मुसाफ़िरों को घंटों तक बस आने का इंतज़ार करना पड़ता है और जैसे ही कोई बस आती है तो यात्रियों में आपाधापी मचती है। अगर यहां कोई बस अड्डा हो तो वहां समय सारिणी के हिसाब से यात्रियों को यह सुविधा रहेगी कि निश्चित समय पर वे पहुंच सकेंगे।
मनकापुर में कोई बस स्टाप ना होने से नवर्निमित बस शेल्टर के बनने के बाद गोण्डा,लखनऊ,कानपुर तक के सफ़र करने वाले मुसाफ़िरों खास कर व्यापारियो को सुखद यात्रा की एक उम्मीद जगी थी। मगर यहां बसों का स्टाप ना होने से यात्रियों की उम्मीदों पर पानी फिरता नज़र आ रहा है।मनकापुर में ना तो कोई प्राइवेट यात्री वाहनों के खड़े होने का कोई निश्चित स्थान है और न ही रोडवेज का बस अड्डा। कस्बे से होकर गुजरने वाली बसों को सड़क किनारे जगह मिलने पर बस रोककर सवारियां उतारने और चढ़ाने का काम होता है।इस रूट पर रोडवेज बसों की संख्या होने के बावजूद भी यात्रियों को मायूस होकर डग्गामार वाहनों का सहारा लेने पर मजबूर होना पड़ता है। इस रूट पर यात्रा करने वाले मुसाफ़िरों को घंटों तक बस आने का इंतज़ार करना पड़ता है और जैसे ही कोई बस आती है तो यात्रियों में आपाधापी मचती है। अगर यहां कोई बस अड्डा हो तो वहां समय सारिणी के हिसाब से यात्रियों को यह सुविधा रहेगी कि निश्चित समय पर वे पहुंच सकेंगे।
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