गुलों से ख़ुशबू ओझल है
चमन में कैसी हलचल है
चारों तरफ है ख़ामोशी
दिलों में कैसी उलझन है
जीवन में सुरताल नहीं
बीत रहा हरपल है
आँखो से टपका आँसू
शबनम बनती प्रतिपल है
नयन उनीदे सपने सुहाने
याद तुम्हारी हर पल है
बेलौस मोहब्बत रांझा सी
आज कहीं भी मुश्किल है
इस दौरे सियासत में देखो
चारों तरफ़ ही दलदल है
सच्चाई और अना"शाहिद"
आज हमारा साहिल है
डॕा शाहिदा
प्रबन्धक
न्यू एन्जिल्स सी.से.स्कूल
प्रतापगढ़
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