इमरान अहमद
मनकापुर गोण्डा :पोषण माह सितम्बर20 के अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र, मनकापुर द्वारा आंगनवाडी कार्यकत्रियों को पोषण वाटिका से पोषण थाली पर सेवाकालीन प्रशिक्षण का आयोजन सितम्बर 28-29, 2020 को छपिया ब्लाक पर डा. अर्चना सिंह द्वारा कराया गया। कार्यक्रम का शुभांरम्ब मुख्य सेविका इंदू व अर्चना सिंह द्वारा किया गया।
केंद्र की महिला वैज्ञानिक डॉ अर्चना सिंह ने कुपोषण के प्रमुख लक्षणों व कारणों पर चर्चा करते हुए पोषण वाटिका द्वारा उसके निदान पर बल दिया। डॉ सिंह द्वारा पोषण वाटिका की रूपरेखा, प्रबंधन की तकनीक व पोषण थाली पर विस्तार से चर्चा करते हुए सिल्वर की कढ़ाई इस्तेमाल करने के नुकसान को उजागर किया गया व लोहे या मिटृटी की कढ़ाई में ही हरी सब्जियों को पकाने को बढ़ाने पर बल दिया गया।
उसको साफ करने के तरीके पर भी चर्चा की गई। साथ में अन्य पोषण संबधित बातें जो रोजमर्रे में हमारे सेहत के लिए जरूरी व फायदेमंद हैं उसपर प्रकाश डाला गया, जैसे आटे को चालना नहीं, चाकर युक्त आटे की रोटिया बनाना, चीनी की जगह गुड या शक्कर का प्रयोग करना, रिफान्ड तेलों की जगह कोल्ड प्रेस का तेल प्रयोग करना, साबूत अनाजों के प्रयोग को बढ़ाना व रिफान्ड आटो व उनके मूल्य संवर्धित उत्पादों जैसे चाउमिन, बरगर, मैगी, पिज्जा आदि का प्रयोग कम से कम करने की सलाह दी गयी। कार्यक्रम में हर उम्र के लिए सहजन की पत्तियों का प्रयोग कर उनके सूप, दलपइता या सपइता, रायता, साग, चाय व अन्य पौष्टिक गुणों से युक्त आहार बनाने की विधि साझा की गयी । इन्दू वर्मा ने अपने रसोई से ही परिवार को स्वस्थ रखने के मूलमंत्र बताए।
केंद्र की महिला वैज्ञानिक डॉ अर्चना सिंह ने कुपोषण के प्रमुख लक्षणों व कारणों पर चर्चा करते हुए पोषण वाटिका द्वारा उसके निदान पर बल दिया। डॉ सिंह द्वारा पोषण वाटिका की रूपरेखा, प्रबंधन की तकनीक व पोषण थाली पर विस्तार से चर्चा करते हुए सिल्वर की कढ़ाई इस्तेमाल करने के नुकसान को उजागर किया गया व लोहे या मिटृटी की कढ़ाई में ही हरी सब्जियों को पकाने को बढ़ाने पर बल दिया गया।
उसको साफ करने के तरीके पर भी चर्चा की गई। साथ में अन्य पोषण संबधित बातें जो रोजमर्रे में हमारे सेहत के लिए जरूरी व फायदेमंद हैं उसपर प्रकाश डाला गया, जैसे आटे को चालना नहीं, चाकर युक्त आटे की रोटिया बनाना, चीनी की जगह गुड या शक्कर का प्रयोग करना, रिफान्ड तेलों की जगह कोल्ड प्रेस का तेल प्रयोग करना, साबूत अनाजों के प्रयोग को बढ़ाना व रिफान्ड आटो व उनके मूल्य संवर्धित उत्पादों जैसे चाउमिन, बरगर, मैगी, पिज्जा आदि का प्रयोग कम से कम करने की सलाह दी गयी। कार्यक्रम में हर उम्र के लिए सहजन की पत्तियों का प्रयोग कर उनके सूप, दलपइता या सपइता, रायता, साग, चाय व अन्य पौष्टिक गुणों से युक्त आहार बनाने की विधि साझा की गयी । इन्दू वर्मा ने अपने रसोई से ही परिवार को स्वस्थ रखने के मूलमंत्र बताए।
कार्यक्रम का समापन ए. डी. ओ. आई. एस. बी इंदल प्रसाद जी व केन्द्र के अघ्यक्ष डा. एम. के. पाण्डेय द्वारा किया गया उन्होने फलों व सब्जियों के पोषक महत्व व पोषण वाटिका से सालभर कैसे फलों व सब्जियों एक परिवार को मिलें पर विस्तृत चर्चा किए। इंदल प्रसाद द्वारा आनगांवाड़ी कार्यकत्रियों को अपने व अपने क्षेत्र के विकास के लिए आर्शीवचन दिए व पोषण संबधित बातों को अमल रखने पर बल दिए। आगंनवाड़ी कार्यकत्रियों को द्वारा आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के प्रसार निदेशालय की तरफ से प्रसार साहित्य के रूप में मासिक पत्रिका पूर्वाचल खेती का वितरण किया गया। आगंनवाड़ी कार्यकत्रियों द्वारा परम्परागत व्यंजनों को पुनः जिवित करने के ध्येय से प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें कार्यकत्रियांें अनेक प्रकार के व्यंजनों को बनाकर प्रस्तुत की, सब्जियों की रंगोनी बनाई, व प्रथम, द्वितीय व तृतीय पुरस्कार भी दिए गए, सबने बढ़ चढ. कर हिस्सा ली। जिसमें मुख्य रूप से शशीकला, इंदू , मंजू व सुनिता आदि 20 कार्यकत्रियाॅ शामिल थी। केंद्र पर व अपने घरों में लगाने के लिए सहजन के बीज का वितरण भी किया गया। कार्यक्रम के आयोजन में आई. सी. डी. एस परियोजना के बाल विकास परियोजना अधिकारी सुशील सिंह व केंद्र के अघ्यक्ष का विशेष सहयोग रहा।
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