सुनील उपाध्याय
बस्ती: मार्च में इंडोनेशिया में बैडमिंटन की ट्रेनिंग लेनें गए जिले के बनकटी ब्लाक के गाँव बजहा के रहनें वाले राष्ट्रीय लैवेल के बैडमिंटन खिलाड़ी शिवम मिश्र पिछले चार महीनें से सरकार और स्थानीय प्रशासन की उदसीनता के चलते इंडोनेशिया के एक ट्रेनिंग सेंटर में फंस कर रह गए हैं, और वह ट्रेनिंग सेंटर उनसे करीब 4 लाख रुपये से ज्यादा की मांग कर रहा है। लेकिन उनके परिवार की हालत ऐसी नहीं हैं की वह इस राशि को चुकता कर पायें । ऐसे में उनके पिता ने जिला प्रशासन से लेकर प्रधानमंत्री तक को पत्र लिख कर शिवम् के वापसी की गुहार लगा लगाई थी इसके बावजूद भी जिम्मेदारों के कान पर जूं तक नहीं रेंगी थी।
ऐसे में शिवम मिश्र के देश वापसी को लेकर सोशल मीडिया पर चल रहे मुहिम को उस समय बल मिल गया। जब सामाजिक कार्यकर्ता व उत्तर प्रदेश खेल संघ के जिलाध्यक्ष रिंकू दूबे को सोशल मीडिया के जरिये यह बात पता चली। उसके बाद उन्होंने जनपद के इस होनहार के वापसी का संकल्प लेते हुए ‘घर लौटेगा लाल मुहिम’ की शुरूआत की है। इसके जरिये वह शिवम के वापसी के लिए हर स्तर पर प्रयास व उनके परिजनों को जरुरी धन मुहैया कराएँगे।
रिंकू दूबे नें बताया की राष्ट्रीय लैवेल के बैडमिंटन खिलाड़ी शिवम मिश्र के इंडोनेशिया में फंसे होने की जानकारी नें मुझे विचलित कर दिया है। उन्होंने कहा की सरकार-समाज का दायित्व है कि बस्ती के लाल को उसके घर पहुंचाया जाए। खेल संघ उत्तर प्रदेश का जिलाध्यक्ष होने के नाते मैं रिंकू दूबे ये संकल्प लेता हूँ कि जल्द से जल्द शिवम की घर वापसी कराऊंगा। कुछ कोशिश मेरी रहेगी इसमें और कुछ कोशिश लोगों को करनी होगी।
उन्होंने कहा की मैं पीएमओ, विदेश मंत्रालय से पत्राचार करने के साथ ही मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी महाराज, सांसद हरीश द्विवेदी जी, सभी माननीय विधायकगण से संवाद के विविध माध्यमों द्वारा शिवम के लिए मदद का प्रयास करूंगा। और यह भी प्रयास करूंगा कि यदि सरकार मददगार न हो पाए तो निजी प्रयासों से शिवम की घर वापसी करा पाऊं। इसके लिए हमें आवश्यक धन का प्रबंध कर अपनी माटी के लाल को लाना होगा। रिंकू दूबे के इस पहल में तमाम लोगों नें मदद का आश्वासन भी दिया है।
ज्ञात हो की शिवम् लखनऊ के बाबू बनारसी दास बैडमिंटन ट्रेनिंग सेंटर में ट्रेनिंग ले रहे था। इसी कड़ी में वह अपने हुनर को और निखारने के लिए लॉकडाउन के पहले 15 मार्च को अपने खर्चे पर एक महीने की ट्रेनिंग लेने इंडोनेशिया गए थे। जहाँ उन्होंने 750 डॉलर (करीब 1 लाख 30 हजार रुपये) फीस के तौर पर चुकता किये थे। इसी दौरान मार्च के अंतिम हफ्ते में लॉक डाउन लगा दिया गया जिसके चलते उनकी वतन वापसी फंस गई ।
ऐसे में वह पिछले 4 महीने से इंडोनेशिया के उसी ट्रेनिंग ही फंसे हुए हैं। इस दौरान इंडोनेशिया का ट्रेनिंग सेंटर अपनें फीस के रूप में 4 लाख रूपये से अधिक की मांग कर रहा है। प्रशिक्षण संस्थान का कहना है कि कोविड-19 की वजह से अगर शिवम उनके यहां रुका है तो उसे पूरी फीस चुकानी होगी। ट्रेनिंग सेंटर का कहना है कि पैसे चुकता करने के बाद ही शिवम की वतन वापसी हो सकेगी। लेकिन उनके परिवार की आर्थिक हालत ऐसी नहीं है की वह इतनी भारी भरकम राशि चुकता कर पायें । क्यों की उनके पिता कृष्ण कुमार मिश्र एक मामुली एलआईसी एजेंट हैं जिनकी कमाई से उनके परिवार का खर्च बड़ी मुश्किल से ही चल पाता है।
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