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BALRAMPUR...कटान के जद में लाला जोत गांव

अखिलेश्वर तिवारी

जनपद बलरामपुर की प्रमुख नदी राप्ती के बाढ़ से प्रत्येक वर्ष बरसात में जिले के सैकड़ों गांवों के हजारों एकड़ कृषि भूमि जलमग्न हो जाती है। बाढ़ के पानी से सैकड़ों गांव घिर जाते हैं, जिससे हजारों लोग प्रभावित होते हैं । नदी में बाढ़ का पानी समाप्त होने के बाद शुरू होता है कटान का सिलसिला, जो महीनों तक जारी रहता है। कटान से नदी के आसपास बसे गांव तथा वहां के लोगों के खेत व फसलें भी प्रभावित होती हैं। यहां तक कीप्रत्येक वर्ष कई एकड़ फसल नदी में समा जाती है । राप्ती नदी के कटान की भयावह स्थिति इस समय जारी है । आज हम बात कर रहे हैं विकासखंड सदर के ग्राम लाला जोत की जो राप्ती नदी के ठीक किनारे बसा हुआ है। गांव और नदी के बीच की दूरी 30 से 40 मीटर ही शेष बची है। कटान तेजी से होने के कारण गांव के लोग दहशत में जी रहे हैं । इस गांव से कुछ ही दूरी पर बनाए गए बांध का सिंचाई मंत्री महेंद्र सिंह ने निरीक्षण भी किया था। इसके बावजूद भी लाला जोत गांव की शुद्ध ना तो मंत्री जी ने ली और ना ही अधिकारी इन संवेदनशील दिखे । यही कारण है कि इस गांव के लोग काफी है भयभीत तथा परेशान हैं। लाइव टुडे की टीम में राप्ती नदी के कटान से होने वाले नुकसान का जायजा लिया तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए ।
सदर विकास खंड के लाला जोत गांव ग्राम सभा बेलहा का एक मजरा है । लगभग 500 की आबादी वाले इस इस गांव में शेड्यूल कास्ट के लोग निवास कर रहे हैं । यहां के लोगों का मुख्य पेशा कृषि है। ग्रामीणों की माने तो राप्ती नदी पिछले दो-तीन वर्षों में गांव की सैकड़ों एकड़ जमीन को अपने आगोश में समेट लिया है। कई किसान भूमिहीन भी हो चुके हैं। इस समय भी राप्ती नदी तेजी से कटान कर रही है। नदी कटान करते हुए गांव के किनारे पहुंच चुकी है । नदी के कटान से गांव के बच्चे बूढ़े स्त्री पुरुष सभी लोग भयभीत हैं। लाइव टुडे की टीम जब गांव के पास नदी के किनारे पहुंची तो गांव के महिला पुरुष तथा बच्चों ने घेर कर अपना दुखड़ा सुनाना शुरू किया । ग्रामीणों का कहना था कि हाल ही में जो बांध बनाया गया है, उसकी लंबाई 800 मीटर सर्वे में बताया गया था, परंतु मौके पर लगभग ढाई सौ मीटर ही निर्माण कराया गया । ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि पहले से बनाए गए कटान रोकने के लिए ठोकर भी हटा दिए गए हैं, जिससे अब गांव के कट जाने का खतरा बढ़ गया है। नदी के कटान में हरे भरे खेत फसल तथा पेड़ भी इस समय समा रहे हैं, जिससे इन लोगों की चिंता भी अब बढ़ती जा रही है। ग्रामीणों की मांग है कि शीघ्र ही गांव को नदी में समाने से बचाने के उपाय किए जाएं । साथ ही भविष्य में बांध की लंबाई बढ़ाकर किसी तरह गांव वालों को नदी में समाने से बचाया जाए । जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश का कहना है की कटान वाले गांव को फिलहाल तो कटान से बचाने का प्रयास किया जा रहा है । साथ ही बांध निर्माण की कार्य योजना बनाकर स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा ।

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