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Pratapgarh:अमानवीय संवेदना से मानव तथा वन्य जीव संकट में


 
 डॉ• राधेश्याम मौर्य

पर्यावरण दिवस पर विशेष 
हम सभी एक दूसरे से बात कर लेते हैं और बता देते हैं कि हमें क्या चाहिए, किंतु क्या आप जानते हैं कि जीव-जंतु भी आपस में बात करते हैं। भले ही हमें उनकी बात समझ न आए पर उन्हें तो एक दूसरे की बात और संकेत खूब समझ आते हैं । हम संप्रेषण के लिए अपने मुख तथा शरीर का भी उपयोग करते हैं तो वही पशु पंछी बिना बोले संप्रेषण करते हैं इनका संप्रेषण बिना बोले मनुष्य से बहुत अधिक होता है। कभी-कभी जंगल में रहने वाले वन्य जीव अपने आवास  से भटक जाते हैं तो मनुष्य उन्हें मारने के लिए तैयार हो जाते है। अभी 27 मई 2020 को केरल के पलक्कड़ जंगल से भटकती हथिनी जो गर्भवती थी वह एक गांव में पहुंच गई जहां कुछ लोगों ने अनानास के फल में पटाका भरकर क्रूर हत्या कर दिया। ऐसे लोग मानव समाज के लिए कलंक है । ऐसे लोगों को भारत के कानून के अनुसार कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। हम 5 जून  2020 को विश्व पर्यावरण दिवस मनाने जा रहे हैं । आज संपूर्ण विश्व कोविड-19 के संकट से जूझ रहा है बड़ी से बड़ी महाशक्तियां आज इस कोरोना वायरस के आगे विवश होकर मौत का मंजर देख रही हैं। जो मनुष्य प्रकृति के प्रत्येक क्षेत्र पर अपना विजय समझ रहा था वही एक छोटा सा वायरस मानव के समाजिक आर्थिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न कर दिया है। लाकडाउन से पर्यावरण पर अच्छा प्रभाव पड़ा है क्योंकि लॉक डाउन के कारण कल कारखानों ,मोटर ,बस, हवाई जहाज, चीनी मिलें के बंद होने से प्रदूषित गैस जैसे कार्बन डाइऑक्साइड ,नाइट्रोजन के ऑक्साइड ,सल्फर डाइऑक्साइड तथा मैथन गैसे वातावरण से निकलना बंद हो गई है जिसके कारण मौसम में परिवर्तन दिखाई देने लगा है। धीरे धीरे वातावरण शुद्ध हो गया है । जिस गंगा जी को साफ करने में सरकारों द्वारा कई करोड़ खर्च कर दिया गया फिर भी साफ नहीं हुई ,किंतु आज गंगा जल व उनका स्वरूप अपने मूल रूप में आ गया है । यह जल जो कुछ दिन पहले स्नान करने के योग्य नहीं था वह आज पीने के योग्य हो चुका है। कोविड-19 महामारी से संपूर्ण दुनिया भयभीत और डरी हुई है तो दूसरी ओर प्रकृति भी इस मौत के मंजर को देख कर मंद मंद मुस्कुरा रही है। प्रश्न उठता है कि इस संकट का जिम्मेदार कौन है ? उत्तर मिलेगा स्वयं मानव यदि हमने इस संकट को उत्पन्न किया है तो हम ही इसे रोक सकते हैं । हमें जियो और जीने दो कि नीति का पालन करना चाहिए ,क्योंकि इस धरती पर परिस्थिति संतुलन के लिए प्रत्येक छोटे से बड़े जीव का अपना महत्व है ।आइए हम विश्व पर्यावरण दिवस के पूर्व संध्या पर संकल्प ले कि हम किसी जीव का आवास नही उजाडेगे और न तो उसकी हत्या करेंगे, जल संरक्षण करेंगे तथा प्रदूषित नहीं करेंगे एवं  अपने जन्म दिवस पर पेड़ लगाएंगे तथा दूसरो को भी लगाने तथा उसके संरक्षण के लिए प्रेरित करेंगे।

लेखक :- ग्राम्य विकास इंटर कॉलेज देल्हूपुर ,प्रतापगढ़ के प्रवक्ता एवं पर्यावरणविद्  तथा राष्ट्रपति पुरस्कार से अलंकृत है ।

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