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विश्व मजदूर दिवस पर लगा लाक डाउन का ग्रहण, नहीं मनाया गया कोई कार्यक्रम

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बलरामपुर ।। भारत सहित पूरे विश्व में 1 मई को मजदूर दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष  कोरोना महामारी के चलते लागू लॉक डाउन के कारण बलरामपुर में कहीं भी मजदूर दिवस कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जा सका । आज ही के दिन मजदूरों ने लंबी क्रांति के बाद अमेरिका के शिकागो शहर में हजारों श्रमिकों के बलिदान के उपरांत 1886 में अपने हक की लड़ाई पर विजय प्राप्त की थी । तभी से लगातार 1 मई को  विश्व मजदूर दिवस मनाया जा रहा है । भारत में पहली बार श्रमिक दिवस 1 मई 1923 को मनाया गया, तब से लगातार 1 मई को श्रमिक दिवस मनाया जा रहा है । श्रमिक दिवस मनाने का एकमात्र उद्देश्य श्रमिक संगठनों को मजबूती प्रदान करते हुए श्रमिकों की समस्याओं का निदान खोजना  तथा श्रमिकों को मजबूती प्रदान करना है । पहली बार ऐसा हो रहा है कि जब मई दिवस के अवसर पर सबसे परेशान हालत में मजदूर ही हैं । लॉक डाउन के चलते मजदूरी पेशा लोगों की रोजी-रोटी पर संकट छाया हुआ है । भारत देश ही नहीं पूरे विश्व में श्रमिकों के भविष्य पर संकट मंडरा रहा है। कोरोना महामारी के कारण अधिकांश देशों में लॉक डाउन है। जहां लॉक डाउन नहीं भी है, वहां की स्थिति भी दयनीय ही बनी हुई है । अगर हम भारत की बात करें तो औद्योगिक राजधानी माने जाने वाले मुंबई अहमदाबाद, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, आंध्र प्रदेश, गुजरात, राजस्थान तथा मध्य प्रदेश सहित तमाम औद्योगिक क्षेत्रों में सन्नाटा पसरा हुआ है । उद्योगों की बंदी के कारण लाखों की संख्या में मजदूर बेरोजगार हो चुके हैं । बेरोजगारी के कारण भुखमरी के कगार पर पहुंच चुके मजदूर पलायन के लिए विवश हैं । देश के विभिन्न प्रांतों से श्रमिकों का लगातार पलायन चल भी रहा है । प्रत्येक दिन बड़ी संख्या में मजदूर तमाम विषम परिस्थितियों और कठिनाइयों का सामना करते हुए अपने गृह जनपद की ओर पलायन कर रहे हैं । निश्चित रूप से श्रमिकों के लिए यह काफी विषम परिस्थिति इतिहास में दर्ज होगी। जानकारों की माने तो इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब पूरे विश्व में एक साथ संकट का बादल छाया है । इतना बड़ा लॉक डाउन भारत में तो पहले कभी नहीं हुआ। अकेले बलरामपुर कि अगर हम बात करें तो अब तक 25 हजार मजदूर जो विभिन्न प्रदेशों में रोजी रोटी की तलाश में गए हुए थे वापस आ चुके हैं । निश्चित रूप से इतनी बड़ी संख्या में मजदूरों को बलरामपुर जैसे छोटे जनपदों में रोजगार सृजन हो पाना आसान काम नहीं है। भले ही सरकार मजदूरों को पारितोषिक के रूप में ₹1000 महीने उपलब्ध करा रही हो, लेकिन बढ़ते महंगाई के दौर में यह राशि नहीं के बराबर है। हजारों लाखों निगाहें अब केवल लॉक डाउन समाप्त होने के इंतजार में टकटकी लगाए बैठे हुए हैं। लोग सुबह शाम यही प्रार्थना कर रहे हैं कि इतना जल्दी कोरोना महामारी समाप्त हो और जिंदगी एक बार फिर पटरी पर उतर सकें । बंद पड़े तमाम कारखाने पुनः संचालित हों, जिससे बेरोजगार हो चुके श्रमिकों को पुनः रोजगार मिल सके। मई दिवस के अवसर पर हम श्रमिकों को बधाई तो नहीं दे सकते परंतु उन्हें सांत्वना जरूर दे सकते हैं की अपने धैर्य को बनाए रखें  ।लाक डाउन का पालन करते हुए स्वयं सुरक्षित रहें, अपने परिवार, समाज वह देश के लोगों को भी सुरक्षित रखें । समय धीरे-धीरे बीत जाएगा, पतझड़ का समय समाप्त होने के बाद पुनः बहार लौटेगी। इसीलिए धैर्य रखें, घरों में रहे और सुरक्षित रहें । पूरे देश में लाक डाउन के चलते मजदूरों का साल में एक बार मनाया जाने वाला श्रमिक दिवस भी नहीं बनाया जा सका ।

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