सुनील उपाध्याय ।
बस्ती:भूखे को भोजन कराने से बड़ा कोई पुण्य का कार्य नहीं होता।भूखे को जितना पेट भरने से तिर्प्ती नहीं होती उससे ज्यादा भोजन कराने वालों को होती है।
लॉक डाउन की वजह से गरीबों और मजदूरों के समक्ष दो वक्त की रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है। उनकी सेवा करने वाले समाजसेवी इन दिनों उन जरूरतमंदों के लिए मसीहा से कम नहीं हैं। जो लोग अपनी परवाह किए बगैर समाज सेवा में लगे हैं उनका योगदान प्रशंसनीय है।
गौर क्षेत्र के जोगिया स्थित लक्ष्य एजुकेशन एकेडमी के प्रबंधक रिंकू दूबे क्षेत्रीय लोगों की सेवा का संकल्प लेकर मैदान में उतर गए हैं। बुधवार को गौर ब्लाक के मुडिलवा गांव में एक मीडियाकर्मी की सूचना पर खाद्यान मुहैया कराने गए रिंकू दूबे ने वहाँ की स्थिति देखी तो रूह कांप गया। देखा कि एक माँ जो 15 वर्ष पूर्व कैंसर से अपने पति को खो चुकी थी वो अपने दो पूर्ण दिव्यांग बच्चों जिसमे एक कि उम्र 35 वर्ष व दूसरे की 25 वर्ष के साथ पानी पीकर समय काट रही थी। उनकी पीड़ा देख राहत सामग्री बाँट रहे टीम के लोगों की आंखे नम हो गयी। साथ सबको सेवा करने के लिए एक नई प्रेरणा और ऊर्जा भी मिली। समाजसेवी रिंकू दूबे ने कहा कि भगवान ने यदि किसी को उस लायक बनाया है तो उसे जरूरतमंदों की सेवा करके ईश्वर को धन्यवाद देना चाहिए कि भगवान उनको इस योग्य बनाया। उन्होंने कहा कि धन दौलत अस्थाई संपत्ति है इसलिए धन दौलत रहते पुण्य कार्य करते रहना चाहिए जिससे लोग मरकर भी अमर हो जाएंगे। रिंकू दूबे के साथ प्रिंस शुक्ला,पण्डित अमन शुक्ला,राजन त्रिपाठी,विवेक मिश्रा, पंकज दूबे, अंकित मिश्रा,योगेश दूबे, दीपू पाण्डेय,सुधाकर त्रिपाठी, पंकज त्रिपाठी,रंकज उपाध्याय, अज्जू गुप्ता,आदर्श मोदनवाल,शुभम जायसवाल आदि लोग मौजूद रहे।
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