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अद्भुत प्रतिभा के धनी रहे वरिष्ठ पत्रकार डॉ सत्यनारायण सिंह "सत्य"


 पुण्यतिथि विशेष 
प्रतापगढ | पत्रकारिता क्षेत्र में आजीवन अनवरत अपनी लेखनी से अतुलनीय सेवा करने वाले , सौम्य  व्यक्तित्व, यथार्थवादी आदर्शवादी पत्रकार रहे स्मृतिशेष डॉ सत्यनारायण सिंह "सत्य"  अपनी लेखनी के माध्यम से लोगों को सजग करने का जो कार्य किया था वह वास्तव में अति प्रशंसनीय रही है ,उनके जीवन का मूल उद्देश्य देश व समाज में व्याप्त शोषण , स्वार्थ ,अन्याय, अत्याचार रूपी विशद् जडो को निज धार रूपी लेखनी से काटकर स्वच्छंद जीवन पालन कर प्रेम - पूर्वक शांति स्थापित करना था | उन्होंने अपनी कलम से ग्रामीण किसानों की दीन दशा को बड़ी ही मार्मिकता से चित्रण किया करते थे | उन्होंने देश व समाज की व्यथा को बारीकी से निहार कर अपनी लेखनी प्रतिभा और अनुभवों के आधार पर लेखन क्षेत्र में नवीन प्रतिमान स्थापित किए जो सर्वथा अविस्मरणीय रहेगा | इतना ही नहीं उन्होंने जीवन भर चुनौतियों का सामना करते रहे | संघर्षपूर्ण जीवन में सफलता पाने का विशेष कमाल हासिल किया, आपके कार्यों को समाज सदैव स्मरण करता रहेगा | स्वर्गीय डॉ "सत्य" ने  कई पत्र-पत्रिकाओं का शुभारंभ किया उनके द्वारा स्थापित किए गए मापदंड मानव जाति के लिए अनुकरणीय है | उन्होंने साहित्य संवर्धन हेतु "पत्रकार सुमन" का शुभारंभ किया जो आज साहित्य दर्पण और संवाहक के रूप में विख्यात है | महिलाओं के उत्थान के लिए तमाल त्रैमासिक पत्रिका का शुभारंभ किया , जिसमें महिलाओं से संबंधित विषय सम्मिलित किए जाते  थे और न्यूज़ स्टैंडर्ड हिंदी समाचार पत्र  का भी स्मृतिशेष डॉ "सत्य" ने  किया | जन सामान्य का हित उनके लिए सर्वोपरि था |चिकित्सा विज्ञान में भी वे बड़ी कुशलता हासिल की थी , उनके हर कार्य में सेवा की भावना थी उन्होंने एक समाजसेवी के रूप में  ख्याति अर्जित की थी और स्वस्थ समाज की स्थापना उनके जीवन का प्रमुख उद्देश्य रहा है | किंतु कहते हुए बड़ा ही दुख होता है कि ऐसे महान व्यक्ति का अंत अति ह्रदय विदारक था ,उनकी दो बेटियों तथा एक बेटे के साथ हत्या कर दी गई थी जो सबसे निराशाजनक है |  हृदय विदारक घटना को स्मृति शेष सत्य के एकमात्र जीवित बचे पुत्र सोमवंशी अखिल नारायण सिंह अकेला ने बड़े धैर्य से सब झेल लिया, ऐसी घटना के बाद संभलने में बड़ी देर लगती है  किंतु जो कुछ ध्वंस हो  चुका था उसका  अकेला ने पुननिर्माण शुरू किया और एक - एक ईट को जोड़कर पुन: भवन खड़ा किया | पत्रिकाओं और अखबार को फिर से प्रकाशित करना शुरू किया ,पिता की स्वर्णिम विरासत को न केवल उन्होंने संजोया वरन  उसमें बहुत कुछ जोड़ा | बेल्हा में कम ही लोग होंगे जो इस सुशील, सज्जन,शान्त व्यक्ति को नही जानते होंगे। इनकी पत्रकारिता प्रदेश, देश में अल्प समय में ही अच्छी ख्याति अर्जित कर चुकी थी। जिस समय इनकी पत्र-पत्रिका कई प्रदेशों में अपना वर्चस्व स्थापित कर रही थी, उसी समय एकाएक डाॅ0 सत्य नारायण सिंह की निर्मम हत्या ने इनके करीबियों के हृदय को आहत कर दिया। उन्होंने अपने श्रम से ऊपर उठ कर ढेर सारी पत्र पत्रिकाओं में अपने जीवन का अमूल्य समय लगाया था।  पत्रकारिता और साहित्य को देखते हुए प्रदेश, देश के कई दिग्गज पत्रकार प्रबंधन कर्ताओं ने इन्हें जोड़ा । डाॅ0 सत्य नारायण सिंह  विचार व्यवहार से जितने ही स्वछंद थे, उससे कहीं ज्यादा वे कर्म से उजले थे। घर में खुशहाली और आर्थिक सम्पनता बनी हुई थी। किसी प्रकार का कोई कष्ट नही था। समाज में हो रहे,कुप्रथाओं कुरूतियों, अंधविश्वास का सदा से विरोध करते आये थे। समाज पीड़ितों के साथ सदैव खड़े रहकर उनका सहयोग करते थे। ऐसे महान व्यक्तित्व अपने अद्भुत व्यवहार ,कुशलता मानवीय  शिष्टाचार कठोर परिश्रम विनयशीलता और अमर वाणी से आज अमर है | अनुभव का भण्डार समेटे विशाल व्यक्तित्व के धनी सामाजिक जीवन के अनुभवों के  मिसाल रहे वरिष्ठ पत्रकार /चिकित्सक / समाजसेवी डॉ सत्यनारायण सिंह "सत्य"की वीं पुण्यतिथि  30  मार्च पर शत शत नमन || स्वर्गीय डॉ •  सत्य नारायण "सत्य" नहीं रहे , किंतु उनकी स्मृतियां अमर है । वह हमेशा अपने कार्यों में उल्लेखनीय उपलब्धियों से संसार में प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे ।

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