राजस्थान/ बीकानेर | सेंटर फॉर विमेंस स्ट्डीज और राजस्थानी विभाग के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित राष्ट्र स्तरीय राजस्थानी काव्यपाठ प्रतियोगिता में कनक रतनू, मदन दान, करणीदान ने क्रमशः प्रथम, द्वितीय व तृतीय पुरस्कार जीता।
सांत्वना पुरस्कार महावीर प्रसाद और लोकेश उपाध्याय के नाम रहा।इससे पूर्व उद्घाटन समारोह में सेंटर की डायरेक्टर, डॉ मेघना शर्मा द्वारा संपादित पुस्तक "युग युगीन नारी" का लोकार्पण कुलपति प्रो भगीरथ सिंह और दिल्ली विश्वविद्यालय की डॉ चयनिका उनियाल पंडा के हाथों संपन्न हुआ। अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि विश्व के कई अति विकसित राष्ट्र भी महिला प्रधान नहीं से पाए हैं ,किन्तु भारत ने महिला राष्ट्रपति भी दी और प्रधानमंत्री भी, किन्तु अभी भी सशक्तिकरण के क्षेत्र में और काम करने की आवश्यकता महसूस होती है। उन्होंने पूर्व काल को याद कर कहा की पहले माना जाता था कि महिला के पढ़ने से उसके पति की उम्र काम होती है, इसलिए उन्हें नहीं पढ़ना चाहिए। किन्तु वर्तमान समय में शिक्षा को लेकर परिदृश्य बदला है और महिलाएं हर क्षेत्र में अपना परचम फहरा रही हैं। उल्लेखनीय है कि लोकार्पित पुस्तक इतिहास, साहित्य व संस्कृति से स्त्री विमर्श के विभिन्न आयामों को समेटे हुए है जिसमें सत्तावन नारी उत्थान संबंधी लेख शामिल हैं। स्वागत उद्बोधन में सेंटर की डायरेक्टर और राजस्थानी विभाग प्रभारी डॉ मेघना शर्मा ने पुस्तक की रचना प्रक्रिया पर बात करते हुए अपने अनुभव साझा किए। कार्यक्रम अध्यक्ष कुलपति भगीरथ सिंह ने कहा कि विभागों को लगातार सक्रिय रहकर शैक्षणिक उन्नयन में अपनी भूमिका निभाते रहना समय की जरूरत है क्योंकि युवा पीढ़ी की कमान शिक्षकों के हाथ में है, इसलिए आवश्यकता है उन्हें सम्पूर्ण व्यक्तित्व विकास की ओर उत्प्रेरित करने की।राष्ट्र स्तरीय राजस्थानी काव्यपाठ प्रतियोगिता के निर्णायकों में मालचंद तिवाड़ी, डॉ. मदन सैनी और दीनदयाल शर्मा शामिल रहे जिन्हें मंच से शॉल, साफा,और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित भी किया गया। प्रतियोगिता में देशभर से महाविद्यालय व विश्वविद्यालयों के प्रतिभागियों ने वीर रस और महिला सशक्तिकरण विषय पर राजस्थानी कविताओं का पाठ कर सहभागिता निभाई जिनमें अमरावती विश्वविद्यालय,महाराष्ट्र, दिल्ली विश्वविद्यालय, नई दिल्ली और चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय सिरसा, हरियाणा आदि के प्रतिभागी शामिल रहे।
सांत्वना पुरस्कार महावीर प्रसाद और लोकेश उपाध्याय के नाम रहा।इससे पूर्व उद्घाटन समारोह में सेंटर की डायरेक्टर, डॉ मेघना शर्मा द्वारा संपादित पुस्तक "युग युगीन नारी" का लोकार्पण कुलपति प्रो भगीरथ सिंह और दिल्ली विश्वविद्यालय की डॉ चयनिका उनियाल पंडा के हाथों संपन्न हुआ। अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि विश्व के कई अति विकसित राष्ट्र भी महिला प्रधान नहीं से पाए हैं ,किन्तु भारत ने महिला राष्ट्रपति भी दी और प्रधानमंत्री भी, किन्तु अभी भी सशक्तिकरण के क्षेत्र में और काम करने की आवश्यकता महसूस होती है। उन्होंने पूर्व काल को याद कर कहा की पहले माना जाता था कि महिला के पढ़ने से उसके पति की उम्र काम होती है, इसलिए उन्हें नहीं पढ़ना चाहिए। किन्तु वर्तमान समय में शिक्षा को लेकर परिदृश्य बदला है और महिलाएं हर क्षेत्र में अपना परचम फहरा रही हैं। उल्लेखनीय है कि लोकार्पित पुस्तक इतिहास, साहित्य व संस्कृति से स्त्री विमर्श के विभिन्न आयामों को समेटे हुए है जिसमें सत्तावन नारी उत्थान संबंधी लेख शामिल हैं। स्वागत उद्बोधन में सेंटर की डायरेक्टर और राजस्थानी विभाग प्रभारी डॉ मेघना शर्मा ने पुस्तक की रचना प्रक्रिया पर बात करते हुए अपने अनुभव साझा किए। कार्यक्रम अध्यक्ष कुलपति भगीरथ सिंह ने कहा कि विभागों को लगातार सक्रिय रहकर शैक्षणिक उन्नयन में अपनी भूमिका निभाते रहना समय की जरूरत है क्योंकि युवा पीढ़ी की कमान शिक्षकों के हाथ में है, इसलिए आवश्यकता है उन्हें सम्पूर्ण व्यक्तित्व विकास की ओर उत्प्रेरित करने की।राष्ट्र स्तरीय राजस्थानी काव्यपाठ प्रतियोगिता के निर्णायकों में मालचंद तिवाड़ी, डॉ. मदन सैनी और दीनदयाल शर्मा शामिल रहे जिन्हें मंच से शॉल, साफा,और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित भी किया गया। प्रतियोगिता में देशभर से महाविद्यालय व विश्वविद्यालयों के प्रतिभागियों ने वीर रस और महिला सशक्तिकरण विषय पर राजस्थानी कविताओं का पाठ कर सहभागिता निभाई जिनमें अमरावती विश्वविद्यालय,महाराष्ट्र, दिल्ली विश्वविद्यालय, नई दिल्ली और चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय सिरसा, हरियाणा आदि के प्रतिभागी शामिल रहे।
आयोजन में डॉ अनिला पुरोहित, डॉ इंद्रा बिश्नोई, प्रो अनिल कुमार छंगाणी, प्रो राजाराम चोयल, डॉ सीमा शर्मा, प्रकाशन विभाग के उमेश शर्मा, विकास पारीक, डॉ प्रगति सोबती, संतोष कंवर शेखावत, डॉ अनिल कुमार दुलार, डॉ अभिषेक वशिष्ठ, डॉ लीला कौर, डॉ गौतम मेघवंशी, सप्रेम जोशी आदि शामिल रहे।
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