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मदरसा ऐनुल उलूम में गणतंत्र दिवस समारोह का हुआ आयोजन


रिपोर्ट:सुहैल आलम

सुल्तानपुर।सदर सुल्तानपुर के मदरसा ऐनुल उलूम शाहगंज मे गत वर्षो की भाति इस वर्ष गणतंत्र दिवस के मौके पर जिले की मशहूर साहित्यकार, कलमकार,सायर ,वक्ता समाज सेबी,आदि लोगों ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराकर अपने विचार रखे नन्हे नवनिहलो ने अपने गीतों से देश भक्ती के गीतो से कार्यक्रम सुरूआत की जिससे सैकड़ों की तादाद में मौजूद लोगों ने बच्चों की हौसिला अफजाई की इस मौके पर मौलाना  अब्दुल कसीम ने देश की आजादी जान को न्यौछावर कर देने वाले सपूतों बारे मे बताते हुए बताया कि मौलाना मोहम्मद अली जौहर लन्दन के गोल मेज सभा मे आपने सिरकत कर अग्रेजो से अब मैंअपने गुलाम मुल्क  बिना अजादी का प्रवाना लिये नहीं जाउंगा नहीं तो मुझे मरने के बाद यही दफना दिया जाय जो इनकी वसीयत थी अग्रेजो ने उनकी वसीयत मानकर वहीं उनको दफनाया गया।कमल नरायन पाण्डेय ने संबिधान की व्यख्या करते हुए कहा कि हम भारत के लोग भारत की सीमा के अन्दर में जितने लोग रहते है वह चाहे जिस धर्म जाति किसी भी भाषा के किसी भी क्षेत्र के हो लेकिन हिन्दुस्तान की सरहद मे रहने वालो की एक ही पहचान है कि हम भारतिय हैं मुख्यवक्ता के रूप में मौलाना कौशर नदबी ने बड़े विस्तार से अपने रखते हुए बताया कि  1902 मे मौलाना मोहम्मद अली जौहर ने अपने भाषण देते हुए कहा था अगर कोई मुझसे पूछे कि तुम कौन हो तो मैं यही कहुगा कि मैं मुसलमान हूँ मै मुसलमान हूँ लेकिन मेरे मुल्क की आन वान शान वक्त अ जाय तो मै सिर्फ हिन्दुस्तानी हैं।गांधी जी को एक अंग्रेज यह समझने की कोशिश की थी कि देश का बटवारा हो जाय तो क्या नुकसान हैं तो गांधी जी ने यही कहा था कि तुम अंग्रेज हो तुम नही समझोगे तुम हुकूमत करनेवाले लोग हो हम लोग मोहब्बत करनेवाले लोग हैं भारत के तकरीबन आठ लाख उन गावों के रास्तों को क्या करू जो मस्जिद से सुरू होते है और मन्दिर पर खत्म होते है और मन्दिर से शुरू होकर मस्जिद पर खत्म होते है।इस मुल्क की आजादी की लड़ाई सारी बिरादरी के लोगों ने मिल कर लड़ी थी अगर इस मुल्क को आगे ले जाना  है  तो देश के सम्बिधान को बचाना जरूरी है।अगर यह सोचकर कि हम कुछ चन्द बिरादरियों को लेलेगे और बाकी को छोड़ देगें तो मुल्क तरक्की नहीं कर पायेगा।इस मौके पर अतिथियों के साथ साथ सामाजिक कार्यकर्ता को सम्मानित किया गया ।इस प्रोग्राम के मुख्यातिथि जिला जज तनबीर अहमद जिसकी अध्यक्षता मौलाना उस्मान कासमी रहे जिसका संचालन सिराज सुल्तानपुरी ने किया।श्याम लाल निषाद राजेश गौतम ,सरदार महेद्र पाल सिंह,सुन्दर लाल टण्डन,डा ऐ के सिंह, डा सुधाकर सिंह अब्दुल करीम एडवोकेट आदि वक्ताओं अपने अपने विचार रखे सैकड़ों की तादात लोग रहे मौजूद  जिससे खासकर अनीस एडवोकेट, मौलाना अब्दुल्ला, मौलाना मताहरुस्सलाम ,इरफान,हाजी जमा खां, अमरबहादुर सिंह ,अब्दुलरहमान उबैद फसीह अहमद आदि लोग रहे मौजूद

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