Type Here to Get Search Results !

Bottom Ad

मुख्य धारा से जुड़ेंगी स्कूल ना जाने वाली सखी सहेली


अखिलेश्वर तिवारी
स्वास्थ्य, बेसिक शिक्षा, युवा कल्याण व पंचायती राज विभाग प्रशिक्षण में करेंगे सहयोग
11 से 14 वर्ष की किशोरियों को प्रशिक्षित करने की कवायद शुरू
बलरामपुर ।। किशोरावस्था प्रत्येक महिला के जीवन का महत्वपूर्ण चरण है। जो एक बच्ची के बचपन व महिला बनने के बीच की महत्वपूर्ण कड़ी है। स्कूल ना जाने वाली किशोरी बालिका की बहुआयामी आवश्यकताओं को समझने और उन्हे औपचारिक शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए एस.ए.जी. (किशोरी बालिकाओं के लिए योजना) लागू की गई है। योजना को जिले में लागू करने के लिए निदेशालय बाल विकास एवं पुष्टाहार के निदेशक शत्रुघ्न सिंह ने जिला कार्यक्रम अधिकारी को शासनादेश भेजा है। 

                       जिला कार्यक्रम अधिकारी के.एम. पाण्डेय ने गुरूवार को बताया जिले में स्कूल ना जाने वाली 11 से 14 वर्ष की किशोरियों को प्रशिक्षित करने की कवायद शुरू हो गई है। इन्हें दक्ष कर मुख्यधारा से जोड़ा जाएगा। उन्होने बताया कि किशोरियों के प्रशिक्षण की कार्य योजना तैयार कर उसे अमल में लाया जा रहा है। एस.ए.जी. (किशोरी बालिकाओं के लिए योजना) के अंतर्गत चयनित सभी वीरांगना सखी व सहेलियों को प्रशिक्षण दिया जाना है। प्रशिक्षण के दौरान किशोरी बालिकाओं को औपचारिक स्कूल शिक्षा में वापस लाने, स्वास्थ्य जांच, पोषण एवं स्वास्थ्य शिक्षा तथा सार्वजनिक सेवाओं तक पहुंचाने के लिए उनका मार्गदर्शन किया जाएगा। प्रत्येक परियोजना में चयनित वीरांगना सखी व सहेलियों के 10 समूहों को 30-30 किशोरियों के बैच में प्रशिक्षित किये जाने की कवायद शुरू की गई जा चुकी है। परियोजना में चयनित सखी सहेलियों को उन्हें नजदीकी विद्यालय, पंचायत भवन, ब्लॉक रिसोर्स सेंटर अथवा मुख्य सेविका द्वारा सेक्टर में चयनित स्थान पर प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्होने बताया जनपद के समस्त जिला परियोजना अधिकारियों को सखी सहेली प्रशिक्षण की कार्य योजना उपलब्ध कराने हेतु निर्देश दे दिया गया है। किशोरियों को स्वास्थ्य, बेसिक शिक्षा, युवा कल्याण तथा पंचायती राज विभाग के साथ समन्वय स्थापित करके प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण का उत्तरदायित्व क्षेत्रीय मुख्य सेविका का होगा और वह अपने क्षेत्र में चयनित सखी सहेली को निर्धारित समय सारणी के अनुसार प्रशिक्षण प्रदान करेंगीं। उन्होनें बताया कि जनपद में स्कूल ना जाने वाली किशोरियों की संख्या हजारों में है, इसके लिए वीरांगना दल गठित कर दिया गया है। प्रशिक्षण के दौरान किशोरी बालिकाओं को प्रति सप्ताह कम से कम 5-6 घंटे गैर पोषण सेवाएं प्रदान की जाएंगीं, जिसमें पोषण व्यक्तिगत स्वच्छता एवं सामान्य स्वास्थ्य, हक एवं अधिकार, कानूनी प्रावधान, योग की उपयोगिता, जीवन कौशल, किशोरी के लिए शिक्षा का महत्व, सार्वजनिक सेवाओं तक पहुंच, आई.एफ.ए. टेबलेट का सेवन और उसकी उनयोगिता सहित तमाम जानकारियां दी जाएंगी। 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Top Post Ad



 




Below Post Ad

5/vgrid/खबरे