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VIDEO: वन रेंज सादुल्लाहनगर में हरे स्वस्थ आम के पेडों पे चल रहा लकड़ी माफियाओं का आरा।

वीडियो 

दुर्गा सिंह पटेल 
मसकनवा गोंडा।एक तरफ प्रदेश सरकार ने रिकॉर्ड पौधारोपण कर प्रदेश का नाम गिनीज बुक में दर्ज कराकर बड़ी उपलब्धि हासिल की है तो वही दूसरी तरफ वन रेंज सादुल्लहनगर के चमरुपुर बीट के अंतर्गत आने वाले घनश्यामपुर में सूखे व रोगग्रस्त पेड़ों को काटने की परमिट लेने की आंड में हरे पेड़ों को काटने का सिलसिला जारी है। सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद वन विभाग की मिलीभगत से हरे पेड़ों की कटान जारी है। रुपयों के खेल के आगे योगी सरकार के निर्देश भी बेमायने साबित हो रहे हैं।
प्रभागीय वनाधिकारी आरके त्रिपाठी के सख्त निर्देशों के बावजूद वन विभाग के संरक्षण में ठेकेदार हरे पेड़ काटने में जुटे हुए हैं। बिचौलियों की माने तो ठेकेदार पेड़ काटने के एवज में खासी रकम सम्बंधित विभाग को भेंट चढ़ाते है जिसके बाद ही उसके लेबर बड़े आराम से हरे पेड़ों पर आरी और कुल्हाड़ी चलाते हैं। इस खेल में उद्यान विभाग व वन विभाग शामिल है। ठेकेदार द्वारा पेड़ मालिको को गुमराह कर सूखे और रोगग्रस्त पेड़ों की कटान का परमिशन लेकर हरे पेड़ों को काटकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।

वन क्षेत्राधिकारी के बिगड़े बोल
जब पत्रकार द्वारा पेड़ कटने के सम्बंध में वन क्षेत्राधिकारी सादुल्लहनगर सुशील कुमार चतुर्वेदी से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने फोन नही उठाया उसके ठीक आधे घण्टे बाद उन्होंने फोन किया और जब पत्रकार द्वारा पेड़ काटने के सम्बंध में पूछा गया तो उन्होंने उल्टे क्षेत्राधिकारी के पद का रौब दिखाते हुए पत्रकार से ही अभद्रतापूर्ण व्यवहार करने लगे,  रेंजर साहब बोले तुम कौन होते हो हमसे इंक्वायरी करने वाले ये साहब पत्रकार के सवाल पर इतने आग बबूले हो गए,और बोले कि तुम मेरे पॉवर को देखोगे।और बोले 28 साल से इलाहाबाद में रहा लेकिन आजतक किसी पत्रकार ने फोन नही किया। और बोले कि जो पत्रकार मेरे कार्यालय में आता है पहले उसके चीफ ब्यूरो का नम्बर व रजिस्ट्रेशन लेता हूँ।
अब सवाल यह उठता है कि उद्यान विभाग ने आखिर कैसे फलदार स्वस्थ पेडों की काटने की एनओसी जारी कर दिया और वन विभाग ने कैसे परमिट दे दिया यह विभाग पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रहा है।
पूरी प्रकरण की जानकारी के बावजूद भी सम्बन्धित अधिकारियों की कान पर जूं तक नहीं रेंगा और हरे स्वस्थ पेड़ों की कटान जारी रही। किसी भी जिम्मेदार ने मौके पर पहुंच कर मामले की जाँच करना अपनी जिम्मेदारी नहीं समझी। 
जब पूरे प्रकरण को लेकर प्रभागीय वनाधिकारी आरके त्रिपाठी से उनके दूरभाष पर बात करने की कोशिश की गई लेकिन संपर्क नही हो सका। बुधवार की दोपहर तक किसी भी उच्च अधिकारी ने हरे पेड़ों का कटना बंद नहीं करवाया। ऐसे में सरकार की पर्यावरण को बचाने की मुहिम कितना कारगर साबित ये सोचने का विषय है।
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