शिवेश शुक्ला
प्रतापगढ़:महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा रोके विना समाज का विकास सम्भव नहीं। इसके लिए महिलाओं को निर्णय में शामिल करने व अपनी पसन्द व्यक्त करने का अवसर देना होगा। उक्त विचार 16 दिवसीय महिला हिंसा विरोधी पखवारा के दौरान एक साथ अभियान के अन्तर्गत 11 दिसम्बर को चेतना सभागार में आयोजित पत्रकार वार्ता में तरुण चेतना के निदेशक मु0 नसीम अंसारी ने व्यक्त किया ।
श्री अंसारी ने बताया कि महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा में लगातार वृद्धि हो रही है। आज हमारे देश में एक घंटे में 26 यानी हर दो मिनट पर महिलाओं के ऊपर होने वाली एक हिंसा का मामला दर्ज होता है, जबकि वास्तविकता इससे कहीं और ज्यादा है। श्री अंसारी के अनुसार देश में आईपीसी0 की धारा 498-ए के तहत पति और रिश्तेदारों द्वारा किसी भी महिला को शारीरिक या मानसिक रुप से चोट पहुंचाना देश में सबसे अधिक होने वाला अपराध है।
इसी तरह धारा 354 के तहत किसी भी महिला की लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल प्रयोग करना जैसी वारदातें देश में होने वाला दूसरा सबसे अधिक अपराध है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार करीब 70 फीसदी महिलाओं ने अपने अंतरंग साथी से उनके जीवन में शारीरिक या यौन हिंसा का अनुभव किया है।
इस अवसर पर मैसवा मैन हकीम अंसारी ने कहा कि समाज के निर्माण में महिलाओं की अहम भूमिका है उन्होंने कहा कि महिलाओं के उत्थान किये बगैर समृद्धिशाली राष्ट्र की कल्पना करना बेमानी होगा. आज देश की आधी आबादी यानी महिलाएं घर के अन्दर व् बाहर दोनों जगह हिंसा से पीड़ित है इसके लिए हम सभी पुरुषों व युवाओं को संवेदित होकर परिवार को नियोजित करने व घर के कामों में भागीदारी बढाने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि महिलाओं को कानूनी रूप से बहुत सारे अधिकार पहले से ही है और कई अधिकार दिल्ली के दामिनी काण्ड के बाद मिले है, अब उसे खुद में उतारने व उसके प्रति जागरूक होने की बारी है।
प्रेस वार्ता में प्रमुख पत्र प्रतिनिधियों के साथ मो० समीम, अच्छेलाल बिन्द, सन्तोष कुमार, मुजम्मिल हुसैन व् राकेश गिरी भी उपस्थित थे
इस अवसर पर नारी चेतना फाउंडेशन की मुन्नी बेगम ने कहा कि आज महिलाएं अपने घर की बंदिशों को तोड़ने का प्रयास कर रही हैं मगर हमें उन्हें अवसर देना होगा। वर्तमान परिवेश में महिला हिंसा की स्थिति पर चर्चा करते हुए मुन्नी बेगम ने कहा कि हैदराबाद की घटना ने पूरे देश को हिला दिया मगर आरोपियों का पुलिस द्वारा किया गया इन्काउन्टर किसी भी दशा में सही नहीं कहा जा सकता. पुलिस का काम विवेचना करना है ना की खुद न्याय देना. यह संविधान व लोकतंत्र दोनों के खिलाफ है. उन्होंने जोर देकर कहा कि महिलाओं के सशक्तीकरण व अधिकार पाने में उनके समक्ष लिंग भेद व महिला हिंसा जैसी अनेक चुनौतियां है, जिसका वे संगठन के बल पर ही मुकाबला कर सकती हैं। मुन्नी बेगम ने लोकसभा व विधान सभा में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देने की जोरदार वकालत की.
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