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बस्ती :पीड़िता ने मुख्यमंत्री से लगाए न्याय की गुहार


शिवेश शुक्ला
बस्ती :शहर के पचपेड़िया रोड स्थित स्टार मेडिकल सेण्टर में हार्निया का आपरेशन कराने वाली पीड़ित महिला नीलम चौधरी द्वारा डीएम को दिये गये शिकायती पत्र को सज्ञान लेकर खबर छापने पर पत्रकारों को सुप्रीम कोर्ट तक घसीटने की धमकी दी गयी है। कहा जा रहा है हमारी पहुंच बहुत ऊपर तक है। सम्बन्धित शिकायत के संदर्भ में डाक्टरों का पैनल जांच करेगा और हमें क्लीनचिट मिल जायेगी।

दरअसल हार्निया का आपरेशन कराने के बाद नीलम चौधरी को राहत नही मिली। उसके घाव में मवाद बनने लगा। आरोप है कि मेडिकल सेण्टर से संपर्क करने पर उसे दूसरे किसी अस्पताल में इलाज कराने की राय दी गयी। फिलहाल महिला गंभीर बीमारी की आशंका से डरी है और फिर इस अस्पताल पर भरोसा नही कर पा रही है। इस समय लखनऊ के केजीएमसी में उसका इलाज चल रहा है। विभागीय सूत्रों से जब पूरे मामले में जानकारी ली गयी तो जिससे बात की गयी वही अस्पताल के बचाव में उतर आया। बताया गया कि महिला का आपरेशन सक्षम चिकित्सक डा. शैलेन्द्र ने किया है जो एमबीबीएस एमएस हैं। इनके अलावा एनेस्थेशिसा के डाक्टर मो. दिलशाद, डा. कनीज फातिमा, डा. शरद गुप्ता आदि अस्पताल को अपनी सेवायें देते हैं।

बताया गया कि जनपद में कुल 86 निजी अस्पताल पंजीकृत हैं जबकि सभी ब्लाकों में कुल मिलाकर छोटे बड़े करीब 150 निजी अस्पताल संचालित हो रहे हैं। डीएम आशुतोष निरंजन ने बगैर मानक के संचालित किये जा रहे अस्पतालों की जांच कर कार्यवाही के निर्देश दिये लेकिन इसका असर महज हरैया विकास खण्ड में दिख रहा है जहां एसडीएम प्रेम प्रकाश मीणा ने ताबडतोड़ छापेमारी कर आधुनिक सुविधाओं का दावा करने वाले निजी अस्पतालों की सच उजागर कर चुके हैं। एक इमानदार अफसर की छबि बना चुके हैं और जनता का उनसे जुड़ाव है।

स्वास्थ्य महकमे का भ्रष्टाचार लाइलाज हो चुका है। महकमे में महत्वपूर्ण पटल पर सहायक वर्षों से जमे हैं। यहां तक कि डिप्टी सीएमओ भी अपनी ऊची रसूख के दम पर यहां कई साल से सेवायें दे रहे हैं। लम्बी अवधि से तैनात अधिकारियों और कर्मचारियों के निजी अस्पताल संचालकों से करीबी सम्बन्ध हो गये हैं यही कारण है कि जब जब कोई पीड़ित इनके विरूद्ध कोई पीड़ित आवाज उठाता है तो उसकी आवाज दबा दी जाती है। खबर ये भी है कि कई पटलों पर तैनात सहायक दबंग किस्म के हैं जो कभी किसी से उलझ सकते हैं और अपनी ऊंची रसूख से उसे डराने की कोशिश करते हैं। निजी अस्पतालों और स्वास्थ्य महकमे के अधिकारियों व सहायकों के सम्बन्धों की जांच की जाये तो यह सच सामने आयेगा कि उन्हे महकमे का ही संरक्षण प्राप्त है।

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