अखिलेश्वर तिवारी
बलरामपुर ।। परिवार नियोजन को लेकर गम्भीर स्वास्थ्य विभाग ने पहल की है। शासन ने परिवार नियोजन इंडेमिनिटी योजना (एफपीआईएस) के तहत नसबंदी के लाभार्थियों को, नसबंदी के कारण उत्पन्न हुई जटिलता, असफलता या मृत्यु के प्रकरणों में प्रदान की जाने वाली क्षतिपूर्ति राशि को दोगुना कर दिया गया है। अप्रैल 2019 के बाद से नसबंदी के असफल मामलों को इसमें शामिल किया जाएगा। नए साल में ये योजना जिले में पूरी तरह से लागू कर दी जाएगी।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ घनश्याम सिंह ने शनिवार को बताया कि परिवार नियोजन योजना के तहत स्वास्थ्य विभाग की ओर से आशा और एएनएम झुग्गी झोपड़ी सहित तमाम क्षेत्रों में जाकर पुरुषों और महिलाओं को जनसंख्या पर नियंत्रण के लिए नसबंदी अपनाने के लिए प्रेरित करती हैं। नसबंदी अपनाने वाले पुरुषों को 3000 और महिलाओं को 2000 रूपये प्रोत्साहन राशि के तौर पर दिए जाते हैं जबकि नसबंदी फेल होने पर दंपत्ति को योजना के तहत अब तक 30,000 रूपये का मुआवजा दिया जाता था। उन्होंने बताया शासन द्वारा जारी किए गए नए दिशा निर्देश के अनुसार अब इस राशि को बढ़ाकर 60,000 रूपये कर दिया गया है। इस राशि का 60 प्रतिशत अंश केंद्र सरकार और 40 प्रतिशत अंश राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। उन्होंने बताया की स्वास्थ्य इकाइयों पर दीवार पर पेंटिंग करवाकर योजना के बारे में लाभार्थियों को जागरूक किया जा रहा है। जिला परिवार नियोजन विशेषज्ञ तुलसीदास तिवारी ने बताया कि नसबंदी के बाद अस्पताल या घर में 7 दिन के अंदर लाभार्थी की मृत्यु होने पर आश्रित को 2 लाख रुपए दिए जाते थे, अब इसे बढ़ाकर 4 लाख कर दिया गया है। 8 से 30 दिन के भीतर मृत्यु हो जाने पर 50,000 के स्थान पर एक लाख रूपये क्षतिपूर्ति राशि दी जाएगी। उन्होंने बताया कि बढ़ती हुई आबादी पर अंकुश लगाने और समुदाय के प्रजनन, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य आंकड़ों को बेहतर बनाने के लिए सरकार द्वारा हर संभव प्रयास किया जा रहा है। इसी क्रम में परिवार नियोजन इंडेमिनिटी योजना (एफपीआईएस) के तहत शासन द्वारा यह नियम लागू किया गया है।
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