मौजूदा वक़्त में जो CAB बिल लाया गया है, इससे पूरे पूर्वोत्तर राज्य झुलस रहे हैं। देश में अफरा तफरी का माहौल है। मौजूदा सरकार मुल्क के बुनियादी ढांचे को तबाह कर देना चाहती है। यह बिल भारत की विचारधारा और संस्कृति के खिलाफ है। सरकार अपनी नाकामियों, गिरती अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी, मन्दी, महंगाई से लोगों का ध्यान हटाना चाहती है। सरकार देश में डर /अराजकता का माहौल पैदा करना चाहती है। विश्व पटल पर जहां हिंदुस्तान को वसुदेव कुटुम्बकम /गंगा जमुनी तहजीब/समानता, स्वतंत्रता, बन्धुता के रूप जाना जाता है, वहीं वर्तमान सरकार देश की इस छवि को मिटाना चाहती है। पड़ोसी देशों से रिश्ते खराब हो रहे हैं। बांग्लादेश के गृह व विदेश मंत्री अपना दौरा रद कर दिए तो जापान के प्रधान मंत्री ने गुवाहाटी आने /भारत आने का कार्यक्रम रद कर दिया। CAB/NRC से सबसे ज्यादा प्रभावित उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग होंगे, जिनकी तादाद करोड़ों में है जो पूर्वांचल के लोग मुम्बई, दिल्ली, बेंगलुरु, अहमदाबाद तथा देश के अन्य महानगरों में 60, 50, 30 वर्षों से जाकर बस गए हैं, वो अपनी भारतीयता कैसे साबित करेंगे? उन्हें भी घुसपैठिया घोषित किया जाएगा! मुझे सबसे बड़ी चिंता है कि जिस तरह असम में लाखों पूर्वांचलियों को NRC से बाहर किया गया है, उनका भविष्य क्या होगा? वह पुस्तैनी भारतीय हैं। वह तो यह नहीं कह सकते कि मुझे पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान ने धार्मिक तौर पर उत्पीड़ित किया है। अगर देश में एन.आर.सी. लागू होता है तो करोड़ों पूर्वांचल वासियों को बेरोजगार होना पड़ेगा। उन्हें अपनी नौकरियों, रोजगार को छोड़कर अपनी भारतीयता साबित करने के लिये अपने गृह जनपद/ गांव में धक्के खाने पड़ेंगे। ऐसी स्थिति में बेरोजगारी और बढ़ जाएगी। जिस तरह नोट बन्दी के समय प्रधान मंत्री जी ने कहा था कि कालाधन वापस आ जायेगा। आतंकवाद समाप्त हो जाएगा। सबके खाते में 15 लाख रूपया पहुंच जाएगा, देश खुशहाल हो जाएगा। उसका परिणाम आज सबके सामने है। इसी तरह CAB/NRC सरकार की एक सनक है। इससे देशवाशियों का उत्पीड़न होगा। सरकार तो अभी यह दिखाना चाहती है कि इस बिल से एक विशेष समुदाय को तकलीफ होगी, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। असम में जो पूर्वांचल के हिन्दू भाई 30, 40, 50 वर्ष पहले बसे थे, उनसे NRC से होने वाली परेशानी को जान सकते हो। वह अपने मुल्क में घुसपैठिया घोषित किये जा रहे हैं। जो लोग मेरी पोस्ट पढ़ रहे हैं, वह अपने आस पास देखें कि क्या कोई घुसपैठिया बसा है? शायद नहीं होगा। मुल्क के दो तीन प्रान्तों को छोड़ दें तो यह समस्या मुल्क के किसी और हिस्से में नहीं है लेकिन यह सनकी और तानाशाही सरकार पूरे देश को उलझाना चाहती है, ताकि सरकार की विफलताओं से लोगों का ध्यान हटा रहे। मुल्क के सभी लोग जिनकी भारतीय संविधान में आस्था है, इस बिल का पुरजोर विरोध करें। मेरी सरकार से यह मांग है कि इस बिल को वापस लेकर देश की समता, समानता, बन्धुता, स्वतंत्रता की पहचान को कायम रखें।
लेखक:
मसूद आलम खान
पूर्व प्रत्याशी
लोकसभा, गोण्डा
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