■ जिला अस्पताल तथा अन्य अस्पतालों में बनाए गए आइसोलेसन वार्ड
■ निजी अस्पतालों को दिए गए रोगियों की सूचना देने के लिए निर्देश
आलोक बर्नवाल
संतकबीरनगर। यूं तो स्वाइन फ्लू को लेकर जिले में स्थिति नियंत्रित रही है, लेकिन इसके बाद भी जिले का स्वास्थ्य विभाग अलर्ट पर है। जिला अस्पताल तथा अन्य सीएचसी पीएचसी में आइसोलेसन वार्ड बनाने के साथ ही आवश्यक दवाएं तथा जांच की सुविधाएं मुहैया करा दी गई हैं। वहीं लोगों से अपील की जा रही है कि वह सर्दी जुकाम को नजरअंदाज न करें।
प्रमुख सचिव स्वास्थ्य की वीडियो कान्फ्रेन्सिंग के बाद सीएमओ डॉ हरगोविन्द सिंह के निर्देश पर जिला अस्पताल सहित सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों और निजी अस्पतालों को इसके इलाज की समुचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि हरदिन तापमान में गिरावट आ रही है। ऐसे में स्वाइन फ्लू का खतरा बढ़ जाता है। इससे बचाव के लिए अभी से तैयारी शुरू कर दी गई हैं। सभी सरकारी अस्पतालों में स्वाइन फ्लू की दवा रखने और अलग से वॉर्ड बनाने के निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही निजी अस्पतालों को स्वाइन फ्लू का मरीज आने पर स्वास्थ्य विभाग को सूचना देने के निर्देश दिए हैं।
सीएमओ ने बताया कि सभी सरकारी अस्पतालों में आइसोलेशन वॉर्ड बनाने और अस्पतालों में तैनात डॉक्टर्स और अन्य स्टाफ को एंटी स्वाइन फ्लू वैक्सीन दे दिए गए हैं। उन्होंने बताया विभाग के पास पर्याप्त मात्रा में टेमी फ्लू और मास्क उपलब्ध हैं। इन्हें सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर भेज दिया गया है। सभी निजी अस्पतालों को इलाज संबंधी गाइडलाइन भेज दी गईं हैं। उनसे कहा गया कि किसी भी मरीज में स्वाइन फ्लू की पुष्टि होने पर उसकी जांच का सैंपल स्वास्थ्य विभाग में जरूर भेजें। विभाग उसे जांच के लिए सरकारी लैब में भेजता है। अगर कोई भी निजी अस्पताल इसमें लापरवाही करता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी।
श्वसन तन्त्र से जुड़ी बीमारी है स्वाइन फ्लू
जिला अस्पताल के एपीडेमियोलाजिस्ट ( महामारी रोग विशेषज्ञ ) डॉ मुबारक अली ने बताया कि स्वाइन फ्लू श्वसन तंत्र से जुड़ी बीमारी है। यह एच 1 एन 1 वायरस के संक्रमण से होती है। स्वाइन फ्लू आम बुखार या सर्दी-जुकाम की तरह होता है। इसका संक्रमण मरीज के खांसने, छींकने और सांस के जरिए फैलता है। स्वाइन फ्लू के सबसे अधिक मामले दिसंबर से अप्रैल तक आते हैं। लोग यदि सार्वजनिक जगहों पर मास्क का प्रयोग करें तो इसका संक्रमण काफी हद तक रोका जा सकता है। स्वाइन फ्लू के संक्रमण से पीड़ित व्यक्ति के नाक और थ्रोट स्वेब का सैंपल माइक्रोबायोलॉजी लैब में भेजा जाता है।
ये हैं स्वाइन फ्लू के लक्षण
इस दौरान तेज बुखार, नाक बहना, खांसी, गले में खरास, सांस लेने में परेशानी, सिरदर्द और बदन दर्द, तेज ठंड लगना, आंखें लाल होना, पानी आना, उल्टी, दस्त होना जैसी परेशानी मरीज महसूस करता है। ऐसे लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
*पिछले साल मिले थे 6 माइग्रेटेड मरीज*
जिले में पिछले साल कोई भी स्वाइन फ्लू का मरीज नहीं मिला था। जिले से सम्बन्धित कुल 6 मरीज सामने आए थे, लेकिन इनमें से किसी भी मरीज को जिले में स्वाइन फ्लू नहीं हुआ था। बल्कि पंजाब, लुधियाना, दिल्ली तथा अन्य शहरों में ही इन मरीजों को स्वाइन फ्लू हुआ था। वहीं पर इनका इलाज भी हुआ था। लेकिन मौत किसी की भी नहीं हुई थी।
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