सोम प्रताप के लाइन हाजिर होने के बाद मानवेंद्र सिंह बनाए गए हैं कहोबा के चौकी प्रभारी
गोण्डा। पुलिस अवैध रूप से बनाई और बेची जा रही कच्ची जहरीली शराब पर प्रतिबंध के दावे करके आला अफसरों को गुमराह करती है, जबकि सच्चाई उसे मुंह चिढ़ाते हुए सिस्टम पर सवाल खड़े करती है। मोतीगंज थाने की कहोबा चौकी क्षेत्र के करीब दर्जनभर गांवों में कच्ची शराब का कारोबार खुलेआम होता है, जिसको लेकर चौकी पुलिस हमेशा सुर्खियों में रही है। चौकी प्रभारी सोम प्रताप के लाइन हाजिर किए जाने के पीछे भी पुलिस द्वारा कच्ची शराब जैसे मामले बताए जाते हैं। ऐसे में कहोबा के नवागत चौकी प्रभारी मानवेंद्र सिंह के लिए कच्ची शराब चुनौती बन गई है।
जिले के मोतीगंज थाने की कहोबा चौकी क्षेत्र में कच्ची जहरीली शराब का कारोबार बड़े पैमाने पर होता रहा है। सच कहें तो यह गोरखधंधा पुलिस की ऊपरी आमदनी का सबसे बड़ा जरिया है। सच यह भी है कि मौजूदा समय में कहोबा चौकी क्षेत्र अवैध कच्ची शराब कारोबियों का हब बन चुका है। यहांं खुलेआम पुलिस संरक्षण में यह धंधा परवान चढ़ रहा है। शायद यही वजह है कि यहां बेलगाम और मनबढ़ हो चुके शराब कारोबारियों को किसी का कोई डर नहीं है। शराब कारोबारी पूछने पर कहते हैं कि कोई हमारा क्या बिगाड़ेगा? स्थानीय पुलिस हम लोगों से तीन हजार से लेकर आठ हजार रूपये तक महीना लेती है। छोटे-बड़े दुकानदारों के रेट तय हैं। इसलिए हम किसी से नहीं डरते हैं।
बताते हैं कि कहोबा चौकी क्षेत्र का दनौवा गांव अवैध कच्ची शराब के लिए कुख्यात रहा है। इसी तरह क्षेत्र का इमिलिया नयी बस्ती गांव भी इस गोरखधंधे के लिए मशहूर है। इसके अलावा फरेंदा सोहांस रोड पर पेट्रोल पंप के पीछे, सैदवापुर, गोविंदपारा, बजाज चीनी मिल, खखरइया, छाछपारा मतवल्ली के खटिकन पाही, नेवादा, सिसवरिया के बुद्धूपुरवा सहित करीब दर्जनभर गांवों में कच्ची शराब का कारोबार डंके की चोट पर परवान चढ़ रहा है। बताते हैं कि तत्कालीन चौकी प्रभारी एस.एन. राय ने इन गांवों के शराब कारोबारियों पर नकेल लगाते हुए धंधे को पूरी तरह बंद करा दिया था लेकिन उनके स्थानांतरण के बाद आए सोम प्रताप ने इस गोरखधंधे को खुली छूट दे दी। अपुष्ट सूत्रों के मुताबिक इसके बदले उन्हें प्रतिमाह एक निर्धारित रकम मिलने लगी। इसके बावजूद, पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर चलाए जाने वाले अभियान के दौरान कुछ गांवों में पुलिस द्वारा छापेमारी भी की जाती रही, लेकिन छापा के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही की गयी। ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस शराब कारोबारियों को संरक्षण प्रदान कर रही है, जिससे उनके मनोबल बढ़े हुए हैं और वह इस धंधे को बंद करने के बजाय दिनों दिन परवान चढ़ा रहे हैं।
कच्ची शराब कारोबारियों का हब बन चुके कहोबा चौकी का प्रभारी मानवेंद्र सिंह को बनाया गया है। उनके सामने कुटीर उद्योग का रूप ले चुके कच्ची के कारोबार पर पूर्ण प्रतिबंध लगा पाना बड़ी चुनौती है। देखना यह है कि क्या वे अवैध रूप से बनाई व बेची जा रही कच्ची शराब पर लगाम कसने में कामयाब होते हैं या पुराने ढर्रे पर ही चलते हैं?
कहोबा चौकी चलाता था दीवान!
कहोबा चौकी पर हेड कांस्टेबल संजीत सिंह की तैनाती है, जिसे मामलों के सेटिंग-गेटिंग में महारत हासिल है। सूत्रों के अनुसार जब तक एस. एन. राय यहां चौकी प्रभारी थे, तब तक उसकी दाल नहीं गली, लेकिन उनके तबादले के बाद आए सोम प्रताप को मैनेज करके संजीत सिंह सिस्टम पर हावी हो गया और वह पूरी चौकी चलाने लगा। दनौवा गांव प्रकरण में लाइन हाजिर किए गए सोम प्रताप के जाने के बाद अब वह फिर बैकफुट पर आ गया है। सूत्र बताते हैं कि अब वह नवागत चौकी प्रभारी मानवेंद्र सिंह से तालमेल बैठाने में जुटा हुआ है, जिससे फिर एकक्षत्र राज कर सके।
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