अमरजीत सिंह
अयोध्या। रामायण कालीन कथा प्रसंग के मुताबिक परंपरागत रूप से 46 वें वर्ष भी रामनगरी के छोटी छावनी से दशरथ नंदन भरत और शत्रुघ्न के प्रतीक शुक्रवार को बनवासी श्री राम को मनाने यात्रा के साथ चित्रकूट के लिए रवाना हुए। रवाना होने से पूर्व छोटी छावनी में भरत और शत्रुघ्न के प्रतीक स्वरूप का वैदिक विधि विधान से पूजन अर्चन किया गया। भरत यात्रा के साथ संत धर्माचार्य और साधु संत भी चित्रकूट के लिए रवाना हुए हैं।
शुक्रवार को परम्परागत रूप से आयोजित होने वाली भरत यात्रा के तहत मणिराम दास छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमलनयन दास शास्त्री के संयोजन मे वैदिक मंत्रोच्चारण और पूजन के बाद यात्रा चित्रकूट के लिये रवाना हुई। भरत व शत्रुघ्न के स्वरूप को लेकर एक दर्जन वाहनो से चित्रकूट के लिए रवाना के साथ रामनगरी से रवाना यह यात्रा विभिन्न दर्शनीय स्थलो पर दर्शन पूजन करते हुए नंदीग्राम,सुल्तानपुर,प्रतापगढ़, प्रयागराज होते हुए चित्रकूट पहुंचेगी। मार्ग में जगह-जगह संतों का प्रवचन रामलीला और भंडारे का आयोजन होगा।यात्रा पुनः 21 नवंबर को वापस अयोध्या पहुंचेगी।
भरत यात्रा को रवाना करने के पूर्व श्रीराम जन्मभूमि न्यास अध्यक्ष और मणिराम दास छावनी के महंत नृत्य गोपाल दास महाराज ने कहा कि राम के अनुज भरत ने भ्रातृत्व व भ्रातृ-प्रेम और पारिवारिक जीवन मूल्य की ऐसी मर्यादायें स्थापित की, जिसका उदाहरण कहीं और नहीं मिलता। महर्षि वाल्मीकि रामायण में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम व भरत के पावन आदर्श जीवन का चरित्र चित्रण है। उन्होंने कहा कि राम के वनवास चले जाने के बावजूद भरत में राज सिंहासन नहीं लिया, भरतकुंड की एक कुटी में रहकर साधना की ओर राम की खड़ाऊ रखकर राज्य चलाया। वर्तमान में आर्थिक माया मोह के चलते भाई ही भाई की जान का दुश्मन बन गया है। परिवार नामक संस्था बिखर रही है और मर्यादा ए तार तार हो रही हैं। भरत यात्रा समाज को नैतिक मूल्यों की सीख और पारिवारिक जीवन की मर्यादा के प्रति जागरूक करने का संदेश लेकर निकली है।विश्व हिंदू परिषद के मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने बताया कि इस अवसर पर संत समिति अध्यक्ष महंत कन्हैया दास ,कृपालु रामदास "पंजाबी बाबा" पुनीत राम दास, महंत रामशरण रामायणी, महंत गोपाल दास, संत जानकी दास ,नरोत्तम दास,रामरक्षा दास,संत ब्रजमोहन दास,बलराम दास,भगवान दास,अवधेश सिंह,पंडित अनिरुद्ध शुक्ल,बनारसी बाबा,आनन्द शास्त्री, पंडित दीपक,शास्त्री, विनय शास्त्री समेत अन्य संत धर्माचार्य उपस्थित रहे।
एक टिप्पणी भेजें
0 टिप्पणियाँ