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परवल की खेती कर किसान ने नरेंद्र देव कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को आईना


अमरजीत सिंह 
अयोध्या । क्षेत्र में परवल पांडे के नाम से प्रसिद्ध  ग्रामसभा सिधौना पूरे पदान पांडे निवासी बाबूराम पांडे उर्वरक एवं कीटनाशक रहित जैविक रूप से परवल की खेती कर क्षेत्र के किसानों के लिए आदर्श बने हुए हैं इनकी खेती  जहां एक और न्यूनतम लागत  से  अधिकतम लाभ देने वाली है वही  वातावरण को  भी पूरी तरह सुरक्षित रखती है ।उम्र के जिस पड़ाव में लोग दूसरे के सहारे पर होते हैं उसी पडाव पर 75 वर्षीय बाबूराम पांडे दिन रात मेहनत कर परवल का रिकार्ड उत्पादन कर क्षेत्र में अपना नाम कमा रहे हैं। बाबू राम पांडे बताते हैं वैसे तो वह 20 वर्षों से परवल की खेती कर रहे हैं परंतु विगत 4 वर्षों से उन्हें इस खेती के लिए वैज्ञानिक तकनीकी नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में प्राध्यापक डॉ एस पी सिंह उपलब्ध करा रहे हैं डॉ सिंह द्वारा गोमूत्र से निर्मित दशपर्णी अर्क जीवामृत के प्रयोग से परवल के उत्पादन एवं उसकी गुणवत्ता में काफी वृद्धि हुई है बाबूराम पांडे प्रगतिशील एवं अनुभवी किसान हैं इन्हें इस खेती में महारत हासिल है वह कहते हैं एक बीघे परवल में वर्ष में ₹100000 आसानी से कमाए जा सकते हैं तथा परवल के बीच बीच में गेंदे का पौधा लगाने से इसमें किसी प्रकार का रोगभी नहीं लगता परवल का केवल एक ही प्रमुख रोग निमेटोड है जो गेंदे के साथ सह फसली होने पर कदापि नहीं लगता। बाबूराम पांडे बताते हैं के परवल की नरेंद्र 260 नरेंद्र 602 व नरेंद्र 307 प्रजातियां अधिकतम उत्पादन देने वाली हैं तथा इन प्रजातियों के परवल गुणवत्ता युक्त होते हैं मार्केट में इनका रेट अन्य परवल की अपेक्षा अधिक होता है बाबूराम पांडे द्वारा वृहद स्तर पर की जाने वाली परवल की खेती पड़ोस में स्थित नरेंद्र देव कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को आईना दिखाती है इतने बढ़िया क्वालिटी के परवल का उत्पादन विश्वविद्यालय के हॉर्टिकल्चर (सब्जी ) विभाग द्वारा भी नहीं हो पाता है। 

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